शहर के साहित्य समाज चौक के निकट तुलसी मानस मंदिर परिसर में श्रीरामचरित मानस नवाह्न परायण महायज्ञ का 73 वा अधिवेशन चल रहा है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि से महायज्ञ शुरु हुआ. इसका समापन कार्तिक पूर्णिमा को होगा. आचार्य पंडित रामनरेश पाठक, पंडित संतोष पाठक,पंडित अंजनी पाठक के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा व आरती कराया जा रहा है. यजमान विजय सांवरिया,ममता सर्राफ,सुशील गुप्ता,संगीता गुप्ता पूजा अनुष्ठान में सक्रिय है. पाठकर्ता व्यास पंडित प्रेम कुमार मिश्रा के नेतृत्व में प्रतिदिन श्रीरामचरित मानस का पाठ चल रहा है. शाम में उच्चकोटी के विद्वान प्रवक्ताओं द्वारा भगवान की पावन कथा का रसपान कराया जा रहा है. महायज्ञ में पूजा अनुष्ठान व कथा श्रवण करने के लिए काफी संख्या में महिला पुरुष श्रद्धालु हिस्सा ले रहे हैं. वैदिक मंत्रोच्चार, मानस पाठ व भगवान की कथा से वातावरण भक्तिमय हो गया है. इस अधिवेशन में वाराणसी से पधारे जगतगुरु श्याम नारायणाचार्य, वृंदावन से पधारी मानस कोकिला ज्ञान्ति तिवारी, ओमप्रकाश दुबे कथा का रसपान कराया जा रहा है. कुछ दिनों तक धर्मगुरु डा सत्यकेतु संजय ने मानस कथा का रसपान कराया. शनिवार को सायंकालीन सत्र में जगतगुरु श्याम नारायणाचार्य ने मानव जीवन के संपूर्ण विकास में श्रीरामचरित मानस की महत्ता पर प्रकाश डाला. उन्होंने जीवन के कल्याण के लिए प्रभु श्रीराम के आदर्श चरित्र व मानस के संदेशों को आत्मसात करने की जरूरत बताया. उन्होंने कहा कि ईश्वर की कृपा से दुर्लभ मानव जीवन मिला है. जीवन समय अमूल्य है, इसे व्यर्थ गंवाने की जरूरत नहीं है. भगवान की भक्ति में ही मानव जीवन का कल्याण निहित है. अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए मानस के संदेशों के अनुरूप कार्य व्यवहार करना चाहिए. महायज्ञ को सफल बनाने में आयोजन समिति के अध्यक्ष भरत सिंह, संरक्षक डा एनसी अग्रवाल, सुरेश उदयपुरी, रविशंकर पांडेय,सच्चिदानंद मिश्रा, विभाकर नारायण पांडेय, कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण मोहन पांडेय,सचिव मनीष भिवानीया, कोषाध्यक्ष रविशंकर उपाध्याय, प्रियरंजन पाठक, बीरेंद्र प्रसाद सहित कई लोग सक्रिय हैं.
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