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रोस्टर के हिसाब से चिकित्सक नहीं रहते हैं उपलब्ध

छह वर्षों में भी एमएमसीएच में मरीजों को नहीं मिला बेहतर इलाज

छह वर्षों में भी एमएमसीएच में मरीजों को नहीं मिला बेहतर इलाज रामनरेश तिवारी, मेदिनीनगर मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल पिछले छह वर्षों से सदर अस्पताल परिसर में संचालित है. वर्ष 2019 से प्रमंडलीय मुख्यालय के सदर अस्पताल में एमएमसीएच संचालित हो रहा है. लेकिन मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. राज्य सरकार द्वारा मरीजों के इलाज के लिए सुविधा उपलब्ध करायी गयी है. लेकिन संसाधन का अभाव बताया जाता है. चिकित्सकों की लापरवाही के कारण मरीजों का इलाज समय व सही तरीके से नहीं हो पाता है. मामूली इलाज व साधारण बीमारी को छोड़ कर दुर्घटना व गंभीर बीमारी के मरीज को रेफर कर दिया जाता है. साथ ही निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए मजबूर होते है. झारखंड राज्य का 25 वां वर्षगांठ रजत जयंती मनाया जा रहा है. झारखंड के विकास के लिए बेहतर प्रयास किये गये. पलामू में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गयी, ताकि पलामू प्रमंडल के मरीजों को लाभ मिल सके. लेकिन सदर अस्पताल में संचालित मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल की लचर व्यवस्था से मरीजों को भटकना पड़ रहा है. दुर्घटना में घायल मरीजों को रिम्स रेफर कर दिया जाता है. गंभीर बीमारी में लोगो को वाराणसी व अन्य बड़े शहरों में इलाज कराने जाना पड़ता है. जिससे गरीब तबके के मरीजों को आर्थिक बोझ पड़ता है. एमएसीएच में वर्ष 2025 में सिटी स्कैन सेंटर का स्थापना किया गया है. लेकिन डीएम रेडियोलाजिस्ट का पदस्थापना नही किया जा सका है. सिटी स्कैन मशीन रहने के बाद भी मरीजों का जांच रिपोर्ट रांची भेजा जाता है.जिसके कारण गंभीर मरीजों को इमरजेंसी में इलाज नही हो पाता है. कमोबेश साधारण व गंभीर मरीज परेशानी से जुझ रहे है. लोगों का कहना है कि सदर अस्पताल से भी बदत्तर एमएमसीएच का स्थिति हो गया है. मरीजों को रेफर करना स्वास्थ्य का व्यवसायीकरण कर दिया गया है. एमएमसीएच में शौचालय का भी स्थिति लचर है. शिफ्ट में पांच चिकित्सकों का होना अनिवार्य प्रावधान के मुताबिक एमएमसीएच में पांच चिकित्सकों का टीम निर्धारित है. जिसमें फिजिशियन को आन ड्यूटी एवं कॉल, सर्जन आन ड्यूटी व सर्जन आन कॉल व एक अन्य चिकित्सक की उपलब्धता अनिवार्य है. लेकिन उपलब्ध नही रहते है. जिसके कारण अस्पताल आने वाले मरीजों को इलाज कराने में परेशानी होती है. सूत्रों का कहना है कि एमएमसीएच में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर न तो जनप्रतिनिधि गंभीर है और न ही सामाजिक कार्यकर्ता. एमएसीएच में आइसीयू की व्यवस्था नहीं मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आइसीयू की व्यवस्था नहीं है. जिसके कारण दुर्घटना में घायल गंभीर मरीजों को निजी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है. इससे मरीज के परिजनों को अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ता है. बताया जाता है कि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के कार्यकाल में छह बेड का आइसीयू उपलब्ध कराया गया था. लेकिन टेक्निशियन नहीं रहने के कारण कई उपकरण बेकार पड़ा हुआ है. वह जर्जर हो चुका है. एमएमसीएच होने के बाद भी आइसीयू उपलब्ध नहीं होना विडंबना है. क्या कहते हैं मरीज शहर के नावाटोली के सलीमुद्दीन अंसारी ने बताया कि गोल ब्लाडर स्टोन हो गया था. एमएमसीएच में इलाज नही होने के बाद रांची में आपरेशन कराया. पुन: गोल ब्लाडर स्टोन होने के बाद जांच कराने पहुंचे है. लेकिन कोई चिकित्सक नही मिल रहे है. सदर अस्पताल से भी स्थिति एमएमसीएच का खराब है. गढ़वा जिला के मझिगांवा के अजय बैठा ने बताया कि उनका रिश्तेदार का शुक्रवार की रात दुर्घटना हो गयी है. जिसमें गंभीर रूप से घायल है. लेकिन इलाज का बेहतर व्यवस्था नही है. काफी नोकझोंक करने के बाद इलाज शुरू किया गया है.

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