नौडीहा (पलामू) : झारखंड राज्य गठन के बाद विलुप्त हो रहे आदिम जनजातियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए राज्य सरकार ने कई योजना शुरू की थी. इसके तहत आदिम जनजातियों को आवास उपलब्ध कराने के लिए बिरसा मुंडा आवास योजना की शुरुआत हुई थी, लेकिन पलामू में यह योजना सफल नहीं हुई.
बात अगर बिरसा मुंडा आवास योजना की करें तो कई ऐसे गांव हैं, जहां के आदिम जनजातियों को आवास तो मिला,पर वह आज भी अधूरे हैं. स्थिति यह है नये की चाहत में पुराना घर तोड़ दिया, अब लाभुक झोपड़ी में दिन गुजार रहे हैं. नौडीहा प्रखंड का रतनाग व गोरहो इसका एक उदाहरण है.
प्रभावित की जुबानी : कृष्णा बैगा रतनाग गांव का रहनेवाला है. वह कहता है कि पहले जो मकान था,ठीकठाक था. 2005-06 में गांव में पंचायत सेवक आये कहने लगे कि तुम्हारा घर पक्का का हो जायेगा. इसके बाद एक कागज पर ठेपा लिया, उसके कुछ दिन के बाद आवास में काम शुरू हुआ, पुराना घर तोड़ दिया, सोचा कि एक दो महीने की बात है. नया मकान बन जायेगा. फिर आराम से रहेंगे, लेकिन कृष्णा बैगा का यह सपना ही रह गया. अब स्थिति यह है कि आवास अधूरा है. कब तक बनेगा, कुछ पता नहीं.
आवास की चाहत में बन गया कजर्दार : नौडीहा के गोरहो के गुलेटन परहिया कजर्दार बन गया, पर घर का काम पूरा नहीं हुआ. गोरहो गांव में जब बिरसा मुंडा आवास का निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ तो उस समय यह बताया गया कि लाभुक ही अपना घर बनायेंगे, इसके बाद काम शुरू हुआ, गुलेटन का कहना है किे काम शुरू किया, यह बताया गया कि पिलिंथ लेबल तक काम कर दो पैसा मिलेगा. कर्ज लेकर काम शुरू कर दिया, उसके बाद आज तक पैसा नहीं मिला आवास भी अधूरा रह गया. यह दो मामले यह बताने के लिए काफी है कि किस तरह बिरसा मुंडा आवास योजना के नाम पर आदिम जनजाति के लोग छले गये. यह स्थिति तब है, जब सरकार की प्राथमिकता सूची में यह शामिल है कि आदिम जनजातियों को संरक्षित रखना है.
बनना था 49, बना एक भी नहीं : नौडीहा प्रखंड के रतनाग में 30 और गोरहों में 19 बिरसा मुंडा आवास योजना का आवंटन वित वर्ष 2005-06 में किया गया था. रतनाग के विभागीय अभिकर्ता पंचायत सेवक जगनारायण महतम थे, जिनकी मौत हो गयी. पर आवास नहीं बना. अब यह कहा जा रहा है कि पंचायत सेवक की सेवाकाल में मौत हुई है. उनके पुत्र को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली है, इसलिए उसे पत्रचार किया गया है. यदि उसके द्वारा कार्य पूरा नहीं कराया जाता है तो रिकवरी की जायेगी. यह प्रक्रिया कब पूरी होगी, इसका भी कोई पता नहीं. रतनाग गांव गया जिले के डुमरिया की सीमा पर है.