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भवन नहीं, बरामदे में पढ़ते हैं बच्चे

विडंबना. सचिव व प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के विवाद का खामियाजा भुगत रहे बच्चे पाटन(पलामू) : विद्यालय के प्रधानाध्यापक सह सचिव व प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के विवाद का खामियाजा पाटन प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. सर्वशिक्षा अभियान से इस विद्यालय में अतिरिक्त कमरे बनाने के लिए राशि […]

विडंबना. सचिव व प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के विवाद का खामियाजा भुगत रहे बच्चे
पाटन(पलामू) : विद्यालय के प्रधानाध्यापक सह सचिव व प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के विवाद का खामियाजा पाटन प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. सर्वशिक्षा अभियान से इस विद्यालय में अतिरिक्त कमरे बनाने के लिए राशि उपलब्ध करायी गयी थी, लेकिन विवाद के कारण राशि को लौटा दी गयी.
इस कारण आज भी केवल दीवार खड़ी है. वर्तमान समय में विद्यालय के नामांकित 121 विद्यार्थी दो कमरे में ही बैठने को विवश हैं. जगह नहीं मिलने के कारण कई विद्यार्थी बरामदे में बैठकर पढ़ाई करते हैं. इस विद्यालय में शौचालय भी अर्द्धनिमित, जबकि किचनशेड भी नहीं है. मध्याह्न भोजन तो एक जर्जर स्टोर रूम में बनाया जाता है. विद्यालय की अपनी 29 डिसमिल भूमि भी है. लेकिन आज तक अतिरिक्त भवन का निर्माण नहीं हो सका.
पूरा समय बच्चों को संभालने में निकल जाता है : प्रधानाध्यापक
प्रधानाध्यापक वीरेंद्र कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि कमरे के अभाव होने के कारण पढ़ाई कराने में बहुत असुविधा होती है. पूरा समय बच्चों को संभालने में ही लग जाता है. हालांकि पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए प्रबंधन द्वारा प्रयास किया जा रहा है, लेकिन बरसात के समय में काफी परेशानी होती है. बरसात में बच्चों को बरामदे पर बैठाना मुश्किल होता है. कई विद्यार्थियों ने विद्यालय छोड़ दिया है, वहीं कुछ अभिभावक अपने बच्चो का नामांकन इस विद्यालय में कराने के बजाये दूसरे विद्यालय में करा रहे हैं. हालांकि इस विद्यालय में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त है.तीन सरकारी सहित छह शिक्षक हैं. लेकिन विद्यालय का भवन नहीं होने के कारण पढ़ाई नहीं हो पाती है.
मध्य विद्यालय के रूप में उत्क्रमित कर दिया गया
बताया जाता है कि सात-आठ साल पहले इस विद्यालय को मध्य विद्यालय के रूप में उत्क्रमित कर दिया गया है. अब यहां आठवीं तक की पढ़ाई होती है. लेकिन भवन नहीं रहने के कारण पढ़ाई बाधित हो रही है. बताया जाता है कि सर्वशिक्षा अभियान द्वारा जब भवन बनाने के लिए राशि आवंटित कर दी गयी थी, तब तत्कालीन प्रधानाध्यापक सह सचिव व प्रबंध समिति के अध्यक्ष के बीच विवाद हो गया था. दोनों भवन निर्माण का कार्य अपने स्तर से कराना चाहते थे, इसी विवाद के कारण स्कूल भवन का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका और विद्यालय भवन निर्माण की आयी राशि वापस हो गयी. इस विद्यालय में करीब 25 साल पहले भी भवन निर्माण कराने की प्रक्रिया शुरू की गयी थी, सिर्फ दीवार खड़ा करने के बाद काम को रोक दिया गया. वह किस विभाग से बनाया गया था, यह कोई बताने की स्थिति में नहीं है.
प्रबंंधन ने नहीं की है मांग : बीइइओ
बीइइओ लंबोदर महतो ने कहा कि विद्यालय के अतिरिक्त भवन बनाने के लिए राशि उपलब्ध करायी गयी थी, लेकिन राशि वापस कर दी गयी. अब सर्वशिक्षा अभियान के द्वारा भवन निर्माण का कार्य बंद कर दिया गया है. इसलिए अब यह लंबी प्रक्रिया है कि भवन निर्माण कराया जा सके. हालांकि विद्यालय प्रबंधन के द्वारा अब तक इसकी मांग भी नहीं की गयी है, यदि प्रबंधन द्वारा इसकी मांग की जाती है, तो वह इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का काम करेंगे.

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