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पर्यावरण संरक्षण के लिए सुरक्षा व जागरूकता जरूरी

पर्यावरण संरक्षण के लिए सुरक्षा व जागरूकता जरूरीइंवायरमेंट इश्यू एंड क्लाइमेट चेंज पर आयोजित सेमिनार में उभरे विचारवरीय संवाददाता, रांची पर्यावरण संरक्षण के लिए सुरक्षा और जागरूकता जरूरी है. इसके लिए हमें संवेदनशील होना होगा. पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए निचले स्तर तक लोगों को जागरूक करना होगा. केवल कंपनियों में जागरूकता फैलाने से […]

पर्यावरण संरक्षण के लिए सुरक्षा व जागरूकता जरूरीइंवायरमेंट इश्यू एंड क्लाइमेट चेंज पर आयोजित सेमिनार में उभरे विचारवरीय संवाददाता, रांची पर्यावरण संरक्षण के लिए सुरक्षा और जागरूकता जरूरी है. इसके लिए हमें संवेदनशील होना होगा. पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए निचले स्तर तक लोगों को जागरूक करना होगा. केवल कंपनियों में जागरूकता फैलाने से इस समस्या का समाधान हीं होगा. प्रकृति ने हमें बहुत कुछ दिया है. अगर हम पानी और पर्यावरण को संरक्षित नहीं कर पाये, तो आने वाले समय में बड़ी विपदा का सामना करना पड़ेगा. झारखंड हाइकोर्ट, ज्यूडिशियल एकेडमी, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और वन पर्यावरण विभाग की ओर से इंवायरमेंट इश्यू एंड क्लाइमेट चेंज विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में यह विचार उभर कर आये. नवनिर्मित ज्यूडिशियल एकेडमी में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के दौरान सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट जजों के समक्ष पर्यावरण पर काम करने वाले विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे. समापन समारोह से पहले रविवार को दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया. इसमें सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अर्जन कुमार सिकरी, न्यायाधीश शिव कीर्ति सिंह, हाइकोर्ट के न्यायाधीश एचसी मिश्रा, न्यायाधीश प्रशांत कुमार, रवि नाथ वर्मा, न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा, डॉ डीके अग्रवाल, डॉ श्याम आर असोलकर, राजेश बिन्नीवाला, आइयूसीएन के कंट्री डॉयरेक्टर पीआर सिन्हा, प्रोफेसर रवींद्र कुमार सिन्हा, एमपी सिंह ने अपने विचार रखे. इस अवसर पर झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन राजेश कुमार शुक्ल समेत कई न्यायिक अधिकारी और वकील उपस्थित थे.पर्यावरण को मानव से ज्यादा खतरा : जस्टिस सिकरीसुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अर्जन कुमार सिकरी ने कहा कि झारखंड को प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है. इसे संरक्षित रखना जरूरी है. पर्यावरण के असंतुलित होने से न सिर्फ मानव जाति, बल्कि पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. पर्यावरण को सबसे ज्यादा खतरा मानव से है. हमें बिना किसी विवाद में पड़े लक्ष्य निर्धारित कर इसके संरक्षण को लेकर काम करना होगा. उन्होंने ज्यूडिशियल अफसरों की प्रतिभा को निखारने की सलाह दी. जजों में प्रतिभा की कमी नहीं है. इसे निखारने की जरूरत है.पर्यावरण संरक्षण के कार्यों की मॉनिटरिंग जरूरी : जस्टिस शिव कीर्तिसुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश शिव कीर्ति सिंह ने कहा कि पर्यवारण संरक्षण को लेकर रोड मैप तैयार कर इसकी मॉनिटरिंग करना जरूरी है. लक्ष्य निर्धारित कर हमें सही दिशा में काम करना होगा. दो दिवसीय सेमिनार के दौरान विशेषज्ञों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई सुझाव अाये हैं. इसके अनुपालन को लेकर हमें गंभीरता से विचार करना होगा. समय की मांग है कि स्कूल, कॉलेज, नेशनल लॉ यूनिवसिर्टी में सेमिनार के माध्यम से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करें.विकास के साथ पर्यावरण का भी करें संरक्षण : जस्टिस स्वतंत्रनेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन सह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार ने कहा कि विकास और पर्यावरण में तालमेल जरूरी है. विकास को रोके बिना हमें पर्यावरण को संरक्षित रखना होगा. पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक जागरूकता और सुरक्षा पर ध्यान देना है. निर्धारित मानकों का पालन करना होगा. उन्होंने कहा कि जल स्तर नीचे जा रहा है. क्लाइमेट चेंज हो रहा है. इसका सबसे ज्यादा असर कृषि पर निर्भर 73 प्रतिशत आबादी पर पड़ेगा. गंगा नदी का 65 प्रतिशत हिस्सा सिवरेज से प्रदूषित होता है. हमारे घर से निकलने वाला सिवरेज गंगा को प्रदूषित कर रहा है. इस पर रोकथाम लगाना जरूरी है. हमें यह सोचना होगा कि जिस गंगा की हम पूजा करते हैं, उसे ही प्रदूषित कर रहे हैं.सरकार व स्टेक होल्डर्स को साथ लेकर होगा काम : चीफ जस्टिस विरेंदरझारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस विरेंदर सिंह ने कहा कि पर्यावरण हमारे जीवन से जुड़ा मुद्दा है. सेमिनार के दौरान कई सुझाव आये हैं. सरकार और स्टेक होल्डर्स को साथ लेकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य किया जायेगा. अगले छह माह में काम का असर दिखने लगेगा. झारखंड में बाघों का घटना चिंता का विषय है. हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह मामला प्रकाश में आया कि पलामू टाइगर रिजर्व में सिर्फ तीन बाघ बचे हैं. सरकार की ओर से बताया कि जंगलों में नक्सली है. पुलिस और नक्सलियों के बीच होने वाली मुठभेड़ की वजह से बाघ झारखंड छोड़ कर छत्तीसगढ़ की ओर से चले गये. पर्यावरण की अनदेखी नहीं हो : जस्टिस पटेलहाइकोर्ट के न्यायाधीश डीएन पटेल ने स्वागत भाषण में कहा कि पर्यावरण की अनदेखी नहीं होनी चाहिए. अगर हम ऐसा करते हैं तो आने वाले समय में गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा. पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए हमें एजुकेशन के माध्यम से जागरूकता फैलानी होगी. जस्टिस डीएन उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन किया.न्यायिक अधिकारियों ने पांच पौधे लगाने का लिया संकल्पसेमिनार में उपस्थित न्यायिक अधिकारियों ने पांच पौधे लगाने, अपने गली, मुहल्ले को स्वच्छ रखने, ऊर्जा का संरक्षण करने समेत कई संकल्प लिये. चीफ जस्टिस विरेंदर सिंह ने बुकलेट जारी करने के बाद न्यायिक अधिकारियों को संकल्प दिलाया.

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