फोटो-3 डालपीएच-3 व 4कैप्सन-निर्माणाधीन जर्जर भवन प्रतिनिधि, पाटन(पलामू).हाल ही में नावाजयपुर को थाना का दर्जा मिला है. पहले यहां 2007 में पिकेट की स्थापना की गयी थी. नक्सली व अपराधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से स्थापित पिकेट के लिए भवन निर्माण का कार्य शुरू किया गया. लेकिन भवन निर्माण का कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ. इसी बीच जब नावाजयपुर को थाना का दर्जा मिला, तो थाना का सारा कार्य इसी भवन में संचालित होने लगा. यहां पुलिस बल के करीब 100 जवान रहते हैं, जिन्हें पीने का पानी भी मयस्सर नहीं है. जर्जर निर्माणाधीन भवन में रहने की विवशता है. भवन के दरवाजे और खिड़कियां नहीं लगाये गये हैं. जगह-जगह पर भवन में दरार पड़ गया है. पुलिस के जवानों का कहना है कि यहां उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन आखिर कर ही क्या सकते हैं? ड्यूटी तो करनी ही हैं, चाहे स्थिति जो भी हो. हम अपने कर्तव्य को पूरा करने को संकल्पित हैं. थाना प्रभारी वीरेंद्र पासवान के अनुसार जो संसाधन है, उसी में काम चलाना है. हालांकि जो समस्याएं हैं, उसे वरीय पदाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है. चूंकि थाना नया बना है, इसलिए कुछ तो परेशानी होगी ही,धीरे-धीरे सबकुछ सामान्य हो जायेगा.
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भवन संसाधन विहीन, चल रहा है थाना
फोटो-3 डालपीएच-3 व 4कैप्सन-निर्माणाधीन जर्जर भवन प्रतिनिधि, पाटन(पलामू).हाल ही में नावाजयपुर को थाना का दर्जा मिला है. पहले यहां 2007 में पिकेट की स्थापना की गयी थी. नक्सली व अपराधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से स्थापित पिकेट के लिए भवन निर्माण का कार्य शुरू किया गया. लेकिन भवन निर्माण का कार्य अब तक पूरा […]
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