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झारखंड में 11 करोड़ का गबन, डीसीडब्ल्यूओ, 2 सीडीपीओ और नाजिर पर FIR

पलामू : झारखंड में 11 करोड़ रुपये के गबन का एक मामला सामने आया है. मामला पलामू जिला से जुड़ा है. इस सिलसिले में एक पूर्व डीएसडब्ल्यूओ, दो सीडीपीओ और एक नाजिर पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. समाज कल्याण पदाधिकारी के आवेदन पर सभी चार लोगों के खिलाफ मेदिनीनगर शहर थाना में प्राथमिकी दर्ज […]

पलामू : झारखंड में 11 करोड़ रुपये के गबन का एक मामला सामने आया है. मामला पलामू जिला से जुड़ा है. इस सिलसिले में एक पूर्व डीएसडब्ल्यूओ, दो सीडीपीओ और एक नाजिर पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. समाज कल्याण पदाधिकारी के आवेदन पर सभी चार लोगों के खिलाफ मेदिनीनगर शहर थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है.

पलामू शहर थाना में 29 नवंबर, 2018 को केस संख्या 398/18 दर्ज की गयी. सभी आरोपियों के खिलाफ आइपीसी की धारा 406, 409, 420 और 120B के तहत केस दर्ज किया गया है. मामले की जांच का जिम्मा सब इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार को सौंपा गया है.

जिला समाज कल्याण पदाधिकारी शत्रुंजय कुमार ने अपने लिखित आवेदन में कहा है कि डीसी के आदेश पर पोषाहार मद में बड़े पैमाने पर गबन और वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है. पूरे जिले के 2595 आंगनबाड़ी केंद्रों के 74 दुकानों के जरिये वित्तीय अनियमितता हुई है.

लिखित आवेदन के मुताबिक, डीब्ल्यूओ ने छद्म दुकानदारों के खाते में राशि ट्रांसफर करके सरकारी राशि का गबन किया. इसमें आगे लिखा गया है कि हरिहरगंज एवं विश्रामपुर में दुकानदारों ने सेविकाओं को जो भुगतान किया, उसमें से 10 से 20 फीसदी राशि काट ली.

इस राशि को तत्कालीन जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कुमारी रंजना, हरिहरगंज की तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, संचिता भकत एवं विश्रामपुर की तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी सुधा सिन्हा को रिश्वत दी गयी.

दुकानदारों को भुगतान के लिए नियम के विपरीत फर्जी विपत्र बनाने में तत्कालीन नाजिर सतीश कुमार उरांव ने इनकी मदद की. विभाग ने इसे सरकारी राशि का गबन और वित्तीय अनियमितता आदि का अपराध माना है.

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