मेदिनीनगर: माओवादी कमजोर पड़ रहे हैं. माओवादियों का जो आधार क्षेत्र है, वह धीरे-धीरे सिमट रहा है. वैसे इलाके जो कभी माओवादियों के लिए सेफ जोन माने जाते थे. उन इलाकों में चाहकर भी पुलिस की गतिविधि नहीं हो पाती थी. मगर वैसे इलाकों में भी पुलिस की दखल बढ़ी है. पहले जानकारी के अभाव […]
मेदिनीनगर: माओवादी कमजोर पड़ रहे हैं. माओवादियों का जो आधार क्षेत्र है, वह धीरे-धीरे सिमट रहा है. वैसे इलाके जो कभी माओवादियों के लिए सेफ जोन माने जाते थे. उन इलाकों में चाहकर भी पुलिस की गतिविधि नहीं हो पाती थी. मगर वैसे इलाकों में भी पुलिस की दखल बढ़ी है. पहले जानकारी के अभाव में बड़ी संख्या में ग्रामीण युवा माओवादी से जुड़ जाते थे. लेकिन अब वैसे इलाकों को फोकस कर विशेष तौर पर काम हो रहा है. विकास के साथ-साथ पुलिस से लेकर सेना की बहाली में ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को जोड़ा जा रहा है.
यही वजह है कि माओवादियों को अब गांव में दस्ता के सदस्य नहीं मिल रहे है. ऐसे में माओवादियों के समक्ष अब यह समस्या है कि वह अपना आधार क्षेत्र का विस्तार करे तो कैसे. क्योंकि जब नये कैंडर नहीं जुड़ेंगे, तो काम होगा कैसे. पहले गांव के युवक आसानी से दस्ता में जुड़ जाते थे. उन्हें लगता था कि इसके अलावा अब कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है.
क्योंकि तब सुदूरवर्ती गांवों में सरकारी पहुंच कम थी. पुलिस भी केवल छापामारी अभियान में ही ऐसे गांवों में जाती थी. लेकिन अब सुदूरवर्ती गांवों को फोकस कर सुरक्षा के साथ-साथ विकास कार्य हो रहे हैं. इस वजह से गांव के युवा में भविष्य को लेकर चिंता है. पुलिस भी जब अभियान में जा रही है, तो विशेष तौर पर युवाओं को फोकस कर काउसिंलग भी कर रही है. जो पिकेट की स्थापना की गयी है वह आने वाले दिनो में इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट सेंटर के रूप में जाने जायेंगे. पलामू के पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा की माने तो पूर्व की तुलना में स्थिति में काफी बदलाव आया है. अब स्थिति यह है कि गांवों में माओवादियों को आसानी से कैडर नहीं मिल रहे है. इसलिए माओवादी अब वैसे लोगों के संपर्क में हैं, जो पूर्व में कभी माओवादियों के लिए काम किया था. लेकिन वर्तमान में संगठन को छोड़कर वह अपने निजी काम में लग गये है. वैसे लोगों से संपर्क साध माओवादी फिर से उन्हें अपनी संगठन में जोड़ने की कोशिश में लगे है. पूछताछ के दौरान पकड़े गये इनामी नक्सली जोनल कमांडर बुधन मियां ने भी माओवादियों के इस रणनीति का खुलासा किया है. उसके बाद माओवादी संगठन से जुड़ी अन्य कई महत्वपूर्ण जानकारी है. एसपी श्री माहथा ने कहा कि पूछताछ के लिए जोनल कमांडर बुधन मियां को रिमांड पर भी लिया जायेगा.
आंध्र के नक्सली देते है ट्रेनिंग
नक्सल संगठन से जुड़ने वाले लोगों को दक्ष बनाने के लिए आंध्र के नक्सली ट्रेनिंग देते है. बुधन मियां 1998 में माओवादियों के लिए सक्रिय हो गया था. इसके पूर्व उसे तारचुंआ जंगल में ट्रेनिंग दी गयी थी. ट्रेनिंग के लिए आंध्र प्रदेश के नक्सली आये थे. शुरुआती दौर में बुधन मियां संगठन के लिए क्रांतिकारी गीत गाता था. बाद में उसे हथियार दस्ता में शामिल किया गया. 2003 में वह पुलिस के हत्थे चढ़ा था. 2005 में जेल से छुटने के बाद कुछ दिनों के लिए वह बाहर कमाने चला गया था. लेकिन बाहर में उसका मन नही लगा और फिर से संगठन से जुड़ गया. एसपी इंद्रजीत माहथा ने बताया कि पूर्व में बुधन मियां के घर पुलिस ने चार बार कुर्की की थी. हाल के दिनों में पुलिस ने बुधन मियां के खिलाफ नरम रूख अपना लिया था. तब बुधन मियां को यह लगा कि पुलिस अब उसके पीछे नही है. लेकिन पुलिस उसके गतिविधियों के बारे में जानकारी ले रहे थे. जैसे ही पुलिस को सूचना मिली की वह इलाके में आया है, सूचना पुख्ता थी. इसके आधार पर उसकी घेराबंदी की गयी और वह गिरफ्तार हुआ. एसपी श्री माहथा ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ के दौरान उसने संगठन से जुड़े कई महत्वपूर्ण जानकारी दी है, जिसके आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी.
छापामारी में थे जो शामिल
एसपी इंद्रजीत माहथा ने बताया कि इनामी माओवादी जोनल कमांडर के गिरफ्तारी के लिए जो छापामारी दल गठन किया गया था उसमें अभियान एसपी अरुण कुमार सिंह, छतरपुर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी शंभू कुमार सिंह, छतरपुर थाना प्रभारी लव कुमार सिंह,सीआरपीएफ के राजेंद्र हरिजन, सरजुन पासवान, विजय सिंह, मंसूर आदि शामिल थे.