महेशपुर. भीषण गर्मी और लगातार बाधित विद्युत आपूर्ति के बीच महेशपुर प्रखंड में देसी फ्रिज यानी मटके की मांग में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है. शनिवार को महेशपुर साप्ताहिक हाट में मटकों की जमकर बिक्री हुई. 43 डिग्री सेल्सियस तापमान में तपते महेशपुर में अब आम हो या खास, एसी में रहने वाले हों या कार में चलने वाले हर किसी की पहली पसंद मटका बन गया है. स्थानीय हाट में सजे घड़े न केवल ग्रामीणों, बल्कि शहरी खरीदारों को भी आकर्षित कर रहे हैं. बिजली की अनियमित आपूर्ति के कारण फ्रिज पर निर्भरता कम हुई है. लोग फिर से परंपरागत जल संग्रहण और शीतलन विधि की ओर लौट रहे हैं. कुम्हार खेदन, भूचू पाल और फलवा पाल ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ ही मटकों की बिक्री भी तेजी से बढ़ी है. उन्होंने कहा कि महंगाई के बावजूद मटकों की कीमतों में मामूली ही वृद्धि हुई है. छोटे आकार के मटके 40 से 60 रुपये में और बड़े मटके 60 से 80 रुपये तक बिक रहे हैं. यह भी बताया कि मिट्टी को चलनी से छानना, गिलाओ बनाना, चाक पर आकार देना और पकाने के बाद उन्हें सुरक्षित रूप से बाजार तक मटका पहुंचाना बेहद कठिन कार्य है. विशेषज्ञों के अनुसार, मटके का पानी न केवल ठंडा होता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है. यह प्राकृतिक विधि से शीतल होता है और शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ पाचन में भी सहायक माना जाता है.
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