एलिसा मशीन हुई ठीक, लेकिन पैथोलॉजिस्ट की कमी से ठप पड़ी सेवा 310 यूनिट ब्लड स्टॉक पर निर्भर मरीजों की उम्मीदें राघव मिश्रा, पाकुड़ शहर के ब्लड बैंक की स्थिति इन दिनों गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है. तकनीकी सुधार के बावजूद व्यवस्थागत कमियों के कारण रक्तदान प्रक्रिया ठप पड़ी है. एलिसा मशीन को दुरुस्त कर दिया गया है, लेकिन इसके संचालन के लिए आवश्यक पैथोलॉजिस्ट की प्रतिनियुक्ति अब तक नहीं हो सकी है. परिणामस्वरूप, दानदाता रक्त नहीं दे पा रहे हैं और लाइसेंस प्रक्रिया भी अधर में लटकी हुई है. ब्लड बैंक में वर्तमान में 310 यूनिट रक्त उपलब्ध है, जिसे केवल डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर जरूरतमंद मरीजों को दिया जा रहा है. लेकिन यदि जल्द पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं होती है, तो यह स्टॉक भी समाप्त हो सकता है, जिससे मरीजों को गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ेगा. सिविल सर्जन डॉ. सुरेंद्र मिश्रा ने बताया कि पैथोलॉजिस्ट के योगदान के बाद ही लाइसेंस जारी किया जा सकेगा और नियमित रक्तदान प्रक्रिया शुरू हो पायेगी. पैथोलॉजिस्ट की भूमिका रक्त की जांच और क्रॉस मैचिंग में होती है, जो सुरक्षित ट्रांसफ्यूजन के लिए अनिवार्य है. चाईबासा सदर अस्पताल में ब्लड बैंक की लापरवाही से बच्चों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने की घटना के बाद राज्य भर में ब्लड बैंकों की जांच शुरू की गई थी. इसी क्रम में रैपिड जांच पर रोक लगाकर एलिसा जांच को अनिवार्य किया गया है. पाकुड़ स्थित ब्लड बैंक में तकनीकी खराबी के कारण पहले ही रक्त का लेनदेन बंद कर दिया गया था. अब मशीन ठीक हो चुकी है, लेकिन पैथोलॉजिस्ट की अनुपस्थिति के कारण संचालन शुरू नहीं हो पा रहा है. जिला स्तर पर रक्त अधिकोष के सफल संचालन के लिए कमेटी भी गठित की गई है, जिसके अध्यक्ष सिविल सर्जन हैं. बावजूद इसके, जब तक पैथोलॉजिस्ट योगदान नहीं करते, तब तक ब्लड बैंक की सेवाएं सीमित ही रहेंगी. यह स्थिति न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि मरीजों की जान जोखिम में डालने वाली गंभीर समस्या की ओर भी इशारा करती है. जरूरत है कि संबंधित विभाग शीघ्र कार्रवाई करे और ब्लड बैंक को पूर्ण रूप से क्रियाशील बनाए, ताकि आमजन को समय पर सुरक्षित रक्त मिल सके.
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