11.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

झारखंड के इस जिले में 14 करोड़ वर्ष पुराना पादप और 28 करोड़ वर्ष पुराने पत्ते का मिला जीवाश्म, राष्ट्रीय धरोहर होंगे संरक्षित

National Heritage: झारखंड के पाकुड़ जिले में 14 करोड़ वर्ष पुराना पादप और 280 करोड़ वर्ष पुराने पत्ते का जीवाश्म मिला है. इन राष्ट्रीय धरोहरों को संरक्षित किया जाएगा.

National Heritage: पाकुड़, रमेश भगत-राजमहल की पहाड़ियों के बीच बसे पाकुड़ जिले के अमड़ापाड़ा प्रखंड में राष्ट्रीय महत्व के पादप जीवाश्म का पता चला है. इस जीवाश्म की उम्र करीब 12 से 14 करोड़ वर्ष (120 से 140 मिलियन वर्ष) पुरानी बतायी जा रही है. इसे राष्ट्रीय धरोहर मानते हुए इस जगह को संरक्षित करने का प्रयास जिला वन कार्यालय की ओर से किया जा रहा है. जीवाश्म वाले स्थल पर जिला प्रशासन की मदद से वन विभाग जियोलॉजिकल हेरिटेज साइट बनाने की योजना बना रही है. जिससे जीवाश्म को सुरक्षित रखते हुए उसके अन्य जानकारी इकट्ठा की जा सकती है. वहीं वन विभाग कार्यालय के समीप फॉसिल्स म्यूजियम भी बनाने की योजना पर काम कर रही है. जिसमें जिले भर से मिले फॉसिल्स को जमा किया जायेगा और लोगों को देखने की भी सुविधा मिलेगी. साथ ही यह अध्ययन के भी काम आयेगा.

बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट की टीम ने खोजा जीवाश्म


अमड़ापाड़ा प्रखंड के आलुबेड़ा व आमझारी गांव में प्राचीन समय से पड़े जीवाश्म की खोज लखनऊ स्थित बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है. नंवबर 2024 में वैज्ञानिक डॉ सुरेश कुमार पिल्लई ने अपनी टीम के सदस्य पीएचडी छात्र विपिन मैथ्यू व अन्य के साथ अमड़ापाड़ा प्रखंड के पचुवाड़ा पंचायत के कई गांवों और बांसलोई नदी के किनारे के स्थलों पर सर्वे अभियान चलाया था. इसी सर्वे में बांसलोई नदी के किनारे एक पूरा पेड़ तने के साथ जीवाश्म के रूप में पाया गया है. यह अब तक की सबसे बड़ी खोज है. इससे पहले पूरे राज्य में कहीं भी इतना बड़ा पूरा पेड़ जीवाश्म के रूप में नहीं मिला था. वहीं कोल उत्खनन क्षेत्र में 30 सेंटीमीटर से बड़ा एक जीवाश्म पत्ता भी मिला है. जो कि अब तक का सबसे बड़ा जीवाश्म पत्ता होने का दावा किया जा रहा है.

280 करोड़ वर्ष पुराने पत्ते का भी मिला जीवाश्म


भू-वैज्ञानिक डॉ एस के पिल्लई ने बताया कि यह जीवाश्म लोवर क्रीटेशियस एज का है जो कि 120-140 मिलियन वर्ष पुराना है. पेड़ के गिरने के बाद वह पानी के संपर्क में था. नदी के बहाव वाले पानी में सिलिका और माइका होती है. इस जीवाश्म का निर्माण सिलिका से हुआ है. यह राष्ट्रीय महत्व का जीवाश्म है. वहीं इस दौरान कोयला खनन क्षेत्र से एक पत्ता जीवाश्म के रूप में खोज की गयी. जिसकी उम्र करीब 28 मिलियन वर्ष है. यह काफी महत्वपूर्ण बात है.

डायनासोर काल से पहले का है पत्ता

वैज्ञानिकों के द्वारा खोजे गये पत्ते की उम्र 280 मिलियन वर्ष है, जबकि डायनासोर 80 से 140 मिलियन वर्ष के बीच थे. यह पत्ता डायनासोर काल के पहले का है. इस पौधे की प्रजाति विलुप्त हो चुकी है. इसे पत्ते को ग्लोसोप्टेरिस फ्लोरा कहा जाता है जोकि पर्मियन काल के माने जाते हैं. यह सुपरकॉन्टिनेंट गोंडवाना में मध्य से उच्च अक्षांशीय निचली भूमि वनस्पति के प्रमुख वृक्ष थे. ग्लोसोप्टेरिस जीवाश्म गोंडवाना क्षेत्र दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अंटार्कटिका के बीच पूर्व संबंधों को पहचानने में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं.

कोयले का भंडार भी 28 मिलियन वर्ष पुराना


पाकुड़ जिले के आमड़ापाड़ा प्रखंड में मौजूद कोयला खदान का कोयला भी 28 मिलियन वर्ष पुराना है. इस कोयले का निर्माण भी डायनासोर के धरती में मौजूद होने के पहले का है. जिससे समझा जा सकता है कि भविष्य में डायनासोर से जुड़े जीवाश्म भी पाकुड़ जिले में बरामद हो सकते हैं.

क्या कहते हैं वैज्ञानिक


बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के भू-वैज्ञानिक डॉ एस के पिल्लई ने बताया कि एसकेएमयू के पीएचडी छात्र विपिन मैथ्यू के साथ सर्वे में गये थे. इस दौरान आमझारी गांव के ग्रामीणों ने बताया कि एक पेड़ पत्थरों के बीच पड़ा हुआ है. ग्रामीणों की मदद से पेड़ का निरीक्षण किया. इस दौरान ग्रामीणों को पेड़ के महत्व की जानकारी दी. साथ ही इसे सुरक्षित रखने की बात कहा. उन्होंने बताया कि यह राष्ट्रीय महत्व का है. इसे संरक्षित करने में सरकार को भी ध्यान देने की जरुरत है ताकि पृथ्वी के विकास के साथ-साथ मानव जीवन के विकास की प्रक्रिया को समझा जा सकता है. साथ ही गोंडवाना क्षेत्र की बारीरिकों को समझने में मदद मिलेगी.

क्या कहते हैं डीएफओ


डीएफओ सौरभ चंद्रा ने बताया कि अमड़ापाड़ा अंचल क्षेत्र में पूरा पेड़ जीवाश्म के रूप में मिला है. यह काफी बड़ी उपलब्धि है. जीवाश्म स्थल को जियोलॉजिकल हेरिटेज बनाने पर विचार किया जा रहा है. साथ ही पाकुड़ वन विभाग कार्यालय के समीप फॉसिल्स म्यूजियम बनाने की भी तैयारी की जा रही है. जिसे अगले दो सालों में तैयार कर लिया जायेगा.

ये भी पढ़ें: Tata Steel Jobs: टाटा स्टील में अब 8500 कर्मचारी ही करेंगे काम, ऐसे पदों पर नहीं होगी भर्ती, इतने कर्मचारी कम करने की तैयारी

Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel