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संताल परगना में थैलेसीमिया से पीड़ित 289 बच्चे, रोकथाम के लिए जरूरी जांच ही उपलब्ध नहीं

शादी से पहले एचपीएलसी टेस्ट रोग की पहचान व रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका सानू दत्ता, पाकुड़ संताल परगना के छह जिलों में थैलेसीमिया'

शादी से पहले एचपीएलसी टेस्ट रोग की पहचान व रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका

सानू दत्ता, पाकुड़

संताल परगना के छह जिलों में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की बढ़ती संख्या चिंता बढ़ा रही है. स्वास्थ्य विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार कुल 289 बच्चे थैलेसीमिया से प्रभावित हैं. यह एक गंभीर आनुवंशिक रोग है, जिसमें पीड़ित बच्चों को जीवनभर नियमित रूप से रक्त चढ़ाना पड़ता है. आर्थिक रूप से मजबूत परिवार इसका इलाज करा पाते हैं, लेकिन गरीब परिवारों के लिए यह लगभग असंभव हो जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि शादी से पहले लड़के-लड़की का एचपीएलसी टेस्ट कर लिया जाये, तो इस बीमारी को जन्म लेने से ही रोका जा सकता है. परंतु संताल परगना के किसी भी जिले में एचपीएलसी मशीन उपलब्ध नहीं है, जिससे लोग समय पर जांच नहीं करवा पाते. इसका सीधा असर बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है और बीमारी अनजाने में आगे बढ़ती जा रही है.

जांच सुविधा नहीं, बढ़ रहा खतरा

एचपीएलसी (हाई परफॉर्मेंस लिक्विड क्रोमैटोग्राफी) टेस्ट से एचबीए-टू की जांच की जाती है. यदि किसी व्यक्ति का एचबीएटू 3.8 से अधिक है, तो यह थैलेसीमिया माइनर होने का संकेत हो सकता है. वहीं 3.8 या उससे कम होने पर थैलेसीमिया माइनर नहीं माना जाता. परंतु संताल परगना के किसी भी जिले में एचपीएलसी टेस्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण लोग समय पर जांच नहीं करवा पा रहे हैं.

दंपती दोनों माइनर, तो बच्चे में मेजर का खतरा

विशेषज्ञों ने बताया कि थैलेसीमिया माइनर वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति के केवल एक जीन में कमी होती है. ज्यादातर मामलों में लक्षण नहीं दिखते और जीवन सामान्य चलता है. इसे कैरियर भी कहा जाता है क्योंकि यह जीन भविष्य में बच्चों में पास हो सकता है. अगर दोनों माता-पिता माइनर हों, तो उनके बच्चे में मेजर थैलेसीमिया होने का खतरा रहता है. थैलेसीमिया मेजर में दोनों जीन प्रभावित होते हैं. यह गंभीर रोग है, जिसमें बच्चों को जीवनभर नियमित रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है. इलाज न मिलने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है. शादी से पहले एचपीएलसी टेस्ट कराकर माइनर थैलेसीमिया पहचानना और रोकथाम करना संभव है.

शादी से पहले जांच कराना जरूरी : डॉ केके सिंह

शहरी स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. केके सिंह ने बताया कि स्थानीय स्तर पर एचपीएलसी जांच न होने से बीमारी की समय पर पहचान मुश्किल है. उन्होंने कहा, यदि शादी से पहले यह टेस्ट अनिवार्य रूप से किया जाए, तो थैलेसीमिया माइनर की पहचान कर रोग को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है. ऐसे में मरीजों की पहचान मुख्यत: उनके क्लिनिकल लक्षणों, बार-बार हीमोग्लोबिन गिरने तथा नियमित सीबीसी रिपोर्ट के आधार पर प्रारंभिक रूप से की जाती है.

एचपीएलसी टेस्ट सबसे प्रभावी व विश्वसनीय जांच : डॉ मनीष

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ मनीष कुमार ने बताया कि थैलेसीमिया की रोकथाम में एचपीएलसी टेस्ट सबसे प्रभावी और विश्वसनीय जांच है. यदि शादी से पहले यह परीक्षण कर लिया जाये, तो थैलेसीमिया माइनर की पहचान कर भविष्य में बच्चों में मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना को पूरी तरह रोका जा सकता है. जिले में एचपीएलसी मशीन लगाने की प्रक्रिया चल रही है. उपायुक्त व सिविल सर्जन के माध्यम से प्रस्ताव भेजा गया है और उम्मीद है कि जल्द सुविधा उपलब्ध होगी.

किस जिले में कितने थैलेसीमिया पीड़ित

जिला पीड़ित

गोड्डा 100

पाकुड़ 77

दुमका 60

देवघर 09

जामताड़ा 43

फोटो संख्या-01, 02 कैप्शन- सदर उपाधीक्षक डॉ मनीष कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी केके सिंह.

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