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लगातार बारिश से खेतों में जलजमाव, धान बिचड़ा और टांड़ खेती पर संकट

लगातार बारिश से खेतों में जलजमाव, धान बिचड़ा और टांड़ खेती पर संकट

कुड़ू़ माॅनसून के आगमन के बाद से लगातार हो रही बारिश किसानों के लिए मुसीबत का कारण बनती जा रही है. खेतों में पानी जमा रहने के कारण किसान धान का बिचड़ा लगाने से डर रहे हैं. उन्हें चिंता है कि अधिक पानी से बीज गल सकते हैं या बह भी सकते हैं. पिछले 12 दिनों में क्षेत्र में रिकॉर्ड 491.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी है, जिससे अब तक आधे से ज्यादा किसान बिचड़ा नहीं लगा पाये हैं. प्रखंड में कुल 40253.2 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से 28257.2 हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. इसके अलावा लगभग 11 हजार हेक्टेयर टांड़ भूमि है, जहां किसान सब्जी, दलहन और तिलहन की फसलें लगाते हैं. लगातार बारिश से टांड़ खेतों में भी पानी भर गया है. खेत गीले होने के कारण किसान मक्का, अरहर, मूंगफली, खीरा, बोदी, फूल गोभी और बंदा गोभी जैसी फसलें नहीं लगा पा रहे हैं. किसान एतवा उरांव, सोमनाथ भगत, कपिंदर महतो, लालू उरांव, परवेज अंसारी और एनामुल अंसारी ने बताया कि 18 जून से लगातार बारिश हो रही है. धान का बिचड़ा लगाने का आदर्श समय 20 जून से 30 जून के बीच होता है और 20 जुलाई से रोपनी शुरू हो जाती है. लेकिन खेतों में पानी जमा रहने से बिचड़ा लगाने में भारी दिक्कत हो रही है. किसानों का कहना है कि हाइब्रिड बीज महंगे मिल रहे हैं. बाजार में इसकी कीमत 400 से 650 रुपये प्रति किलोग्राम तक है. स्थानीय लैंपस में यह बीज 200 रुपये प्रति किलो में उपलब्ध है. ऐसे महंगे बीज अगर खराब हो जाएं तो उनकी भरपाई मुश्किल होगी. लगातार बारिश से बिचड़ा और टांड़ दोनों खेती का समय तेजी से निकलता जा रहा है.

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