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आरेया में 1935 से की गयी मेले का शुरुआत

किस्को क्षेत्र के आरेया गांव में आयोजित रामनवमी मेला का इतिहास काफी पुराना व गौरवपूर्ण रहा है

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जिले के विभिन्न गांव के अखाड़ा होते थे शामिल यादों के झरोखे से रामनवमी फोटो. प्रबुद्ध लोग फोटो. मौके पर मौजूद लोग, फाइल फोटो संदीप साहु किस्को. किस्को क्षेत्र के आरेया गांव में आयोजित रामनवमी मेला का इतिहास काफी पुराना व गौरवपूर्ण रहा है. मेला आयोजित करने में समाज के साथ अन्य प्रखंड के लोगों का योगदान होता है. गांव में मेला का शुरुआत महादेव महतो, महावीर महतो, बहुरा महतो, बालगोबिन साहू एवं उदितपाल सिंह द्वारा वर्ष 1935 में शुरुआत की गयी. शुरुआत के बाद मेला का आयोजन भव्य तरीके से होता था. मेला में किस्को के अलावा सेन्हा, लोहरदगा व अन्य जगहों के अखाड़ा शामिल होते थे. अखाड़ों द्वारा अस्त्र शस्त्र प्रदर्शन व कई कार्यक्रम का आयोजित किये जाते थे. मेला में भीड़ भी जबरदस्त होती थी. रामनवमी समिति के लायन मनीष सिंह, सितोष कुमार साहू, ब्यास साहू, हरिओम प्रजापति, सुनील प्रजापति ने बताया कि आज के अपेक्षा शुरुआती दौर में मेला का आयोजन में जिले के अखाड़े के शामिल होने से मेला में काफी भीड़ एकत्रित होती थी. वही समिति के लोगों ने बताया कि पूर्वजों द्वारा आयोजित किये जाते रहे मेले को आज के युवा पीढ़ी आगे बढ़ा रहे हैं. मेला में वर्तमान समय में आरेया, चरहु, महुगाव, तेतर टांड़, गोबर सेला, टंगरा टोली,पत्थर टोली, मुर्की, तोड़ार व किस्को व सेन्हा के दर्जनों गांव के अखाड़े शामिल होते हैं. मेला में अस्त्र-शस्त्र कार्यक्रम और बच्चियों के लिए खेल का आयोजन किया जाता है. सभी अखाड़ों को सम्मानित किया जाता है और जितने भी महानुभव वरिष्ठ मेला लगाने में योगदान रहता है. उसको मेला समिति के द्वारा एक भगवा गमछा देखकर सम्मानित किया जाता है.

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