किस्को़ कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ किरण सिंह ने किस्को प्रखंड के विभिन्न खेतों का निरीक्षण कर किसानों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में तापमान में कोई खास बदलाव की संभावना नहीं है. ऐसे में किसान शीतकालीन सब्जियों की नर्सरी बुआई या रोपाई पूरी कर लें. साथ ही कोल फसलों, मटर, चना और मूंग की बुआई का यह उपयुक्त समय है. जो किसान इस समय गेहूं की खेती करना चाहते हैं, वे अनुशंसित पछेती किस्में जैसे एचआइ-1583, डीबीडब्लू -107, एचडी-3118 आदि का चयन करें. देर से बोआई की स्थिति में सामान्य से 50 किलोग्राम प्रति एकड़ अधिक बीज का प्रयोग करें. बीज को बाविस्टीन (2-2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम) से उपचारित कर 18-20 सेंटीमीटर कतार दूरी और 7-9 सेंटीमीटर पौधा दूरी पर बोना लाभकारी होगा. उन्होंने बताया कि अरहर फसल फली बनने की अवस्था में है, जिसमें छेदक कीट का प्रकोप संभव है. इससे बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल या स्पिनोसैड 45 एससी का 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. वहीं, एक ही जगह अधिक घने सरसों के पौधों में विरलीकरण जरूरी है. सरसों में लाही कीट से बचाव को लेकर इमिडाक्लोप्रिड का 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव प्रभावी है. डॉ सिंह ने बताया कि कई जगह आलू में अंगमारी रोग का प्रकोप देखा जा रहा है. इसके नियंत्रण के लिए रीडोमिल का 1.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. गोभी में डायमंड बैक मोथ के संभावित प्रकोप को देखते हुए स्पिनोसैड 45 एससी का 0.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग करें. न्यूनतम तापमान में कमी और कोहरे के कारण टमाटर में लेट ब्लाइट की आशंका भी रहती है. इससे बचाव के लिए प्रारंभिक संक्रमण अवस्था में मेटालैक्सिल मेन्कोजेब (2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

