किस्को़ किस्को प्रखंड के पाखर पंचायत अंतर्गत डहरबाटी, पाखरपाठ, पोखरा पाठ, सरना पाठ समेत दर्जनों गांव के ग्रामीण आजादी के 78 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं. प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में ग्रामीणों ने खुलकर अपनी पीड़ा बतायी. उन्होंने कहा कि पंचायत में विलुप्तप्राय आदिम जनजाति नागेशिया, असुर समुदाय के लोग आज भी पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. कई गांवों में लोग आज भी चुआं, नाला और नदी का गंदा पानी पीने को विवश हैं. विकास के नाम पर कुछ भी नहीं : स्थानीय निवासी चंद्रमुनी असुर ने कहा कि क्षेत्र से हिंडाल्को कंपनी बॉक्साइट का खनन करती है, लेकिन विकास के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया. सभी काम सिर्फ कागजों में होते हैं. पानी तक की व्यवस्था नहीं है़ मीना उरांव ने बताया कि विकास के नाम पर सिर्फ ठगने का काम हुआ है. अब लोग अधिकारियों और नेताओं से उम्मीद भी नहीं रखते. कंपनी सिर्फ मुनाफे में लगी है और उसके दलालों की चांदी कट रही है. शांति नगेशिया ने कहा कि पानी लाने में भारी मशक्कत करनी पड़ती है, पर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है. विकास योजनाओं में लूट मची है. कंपनी क्षेत्र के विकास से बिल्कुल बेपरवाह है. इन्हें मालूम है कि जनता जागरूक हो गयी तो मनमानी नहीं चलेगी़ सुरेंद्र नगेशिया, सहदेव नगेशिया और विश्राम नगेशिया ने भी क्षेत्र की बदहाली पर नाराजगी जतायी. उनका कहना था कि न सड़क है, न स्वास्थ्य सुविधा और न ही शिक्षा का बेहतर प्रबंध. भ्रष्टाचार चरम पर है. सुनने वाला कोई नहीं है. पंचायत के कई गांवों में पीने लायक पानी भी नहीं : श्याम किशोर नगेसिया, पंकज नगेसिया, सुखनाथ नगेसिया और संदीप नगेसिया ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2019 को शुरू किये गये जल जीवन मिशन का लाभ यहां नहीं पहुंचा. पंचायत के कई गांवों में नल से जल तो दूर, पीने लायक पानी भी उपलब्ध नहीं है. लोग नदी, नाला, डोभा और चुआं बनाकर पानी लाते हैं. बारिश में पानी गंदा हो जाता है और गर्मी में सूख जाता है, जिससे लोग बीमार पड़ जाते हैं. डहरबाटी गांव के बहरा कोना, अखड़ा टोला, आंगनबाड़ी टोला, पाखर, बंगला पाठ, सरना पाठ और पोखरा पाठ के ग्रामीण जलमीनार से पानी की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों ने कहा, सुबह उठते ही पानी की तलाश शुरू करनी पड़ती है. चंद्रमुनी असुर ने बताया कि एक किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है और रास्ते में बंदर-भालू का खतरा बना रहता है. कंपनी सुनती नहीं, जनप्रतिनिधि और अधिकारी उदासीन हैं. सिर्फ आश्वासन का घूंट पिलाया जाता है. क्षेत्र की बदहाली से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है और वे मूलभूत सुविधाओं की तत्काल व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं.
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