कैरो़ प्रखंड क्षेत्र में कुल 14383.83 हेक्टेयर भूमि में से 8100.24 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की जाएगी. इस क्षेत्र के कैरो, नरौली और सढाबे पंचायतों के कुछ गांवों को नंदनी डैम से सिंचाई का लाभ मिलता है. इस वर्ष समय से पहले अच्छी बारिश के कारण नंदनी जलाशय का जलस्तर 20 जून से पहले ही बढ़ गया है. छलकते जलाशय से पानी का बहाव भी आरंभ हो गया है. हालांकि, नंदनी जलाशय से निकलने वाली तीनों मुख्य नहरों का जीर्णोद्धार कार्य पिछले तीन वर्षों से चल रहा है, जिसके कारण किसानों को इससे अब तक पूरा लाभ नहीं मिल पाया है. लगभग 36 करोड़ रुपये की लागत से शुरू हुए इस कार्य के चलते हर वर्ष बारिश के बाद पानी की आपूर्ति रोक दी जाती है. इससे किसान समय पर खेतों में सिंचाई नहीं कर पाते और रबी तथा गरमा फसल की खेती बड़े पैमाने पर करना मुश्किल हो जाता है. इससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. नंदनी जलाशय का निर्माण वर्ष 1983-84 में हुआ था. इससे तीन नहरें निकली हैं. पहली नहर नरौली, उतका, कैरो, सुकुरहुटू, बारडीह, सिंजो, उमरी होते हुए दक्षिणी कोयल में मिलती है. दूसरी नहर नरौली, खंडा, उतका, एडाडोन तक जाती है और तीसरी नहर भंडरा प्रखंड के आकाशी, बंडा, कैरो, बिराजपुर, गुड़ी, नगड़ा तक फैली है. इन नहरों से हजारों एकड़ भूमि सिंचित होती है. हालांकि, अब तक नहरों का जीर्णोद्धार कार्य पूरी तरह से पूरा नहीं हो सका है. कुछ स्थानों पर आउटलेट निर्माण का कार्य शेष है. किसानों को डर है कि यदि आगामी सीजन तक भी नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया तो खेती प्रभावित होगी. किसान सोमरा उरांव, शंकर राम, मंगरा उरांव, सहाबुद्दीन अंसारी, हमीद अंसारी और मनोवर अंसारी का कहना है कि जीर्णोद्धार जरूरी था, लेकिन इसमें अत्यधिक देरी हो रही है जिससे परेशानी बढ़ी है. यदि नहरों में सालभर पानी की आपूर्ति हो तो किसान रबी और गरमा दोनों मौसम में बेहतर उत्पादन कर सकते हैं. इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और क्षेत्र में पलायन पर भी अंकुश लगेगा.
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