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झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम लागू करे सरकार

लोहरदगा : निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावक मंच वर्षों से संघर्ष करते आ रहा है. लेकिन इसका कोई लाभ अभिभावकों को नहीं मिल पा रहा है. शायद इसका सबसे बड़ा कारण है हमारे देश के नीति निर्धारकों द्वारा अभिभावकों की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जाना़ जबकि देश का कोई राज्य ऐसा […]

लोहरदगा : निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ अभिभावक मंच वर्षों से संघर्ष करते आ रहा है. लेकिन इसका कोई लाभ अभिभावकों को नहीं मिल पा रहा है. शायद इसका सबसे बड़ा कारण है हमारे देश के नीति निर्धारकों द्वारा अभिभावकों की समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जाना़ जबकि देश का कोई राज्य ऐसा नहीं है जहां अभिभावक परेशान नहीं हों. परंतु इस समस्याओं का सुधि लेने वाला कोई भी राजनीतिक दल नहीं है. इस मुद्दे पर अभिभावक अब चुप नहीं बैठेंगे.

इन्हीं सब समस्याओं के निदान को लेकर छह अप्रैल को दिल्ली में होने वाले कार्यक्रमों की तैयारी को लेकर झारखंड अभिभावक मंच की बैठक मंच के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की अध्यक्षता में हुई. इसमें निर्णय लिया गया कि जो भी राजनीतिक दल निम्न बिंदुओं को अमल में लाये जाने का शपथ पत्र पेरेंट्स को देंगे, तभी पेरेंट्स का भी वोट उसी दल को मिलेगा. अन्यथा छह अप्रैल को दिल्ली में देशभर के अभिभावकों के बीच जो निर्णय लिया जायेगा वह सभी राज्यों के अभिभावकों को लिए मान्य होगा. अजय राय एवं प्रदेश सचिव सह लोहरदगा जिला प्रभारी संजय सर्राफ ने बताया कि झारखंड सरकार द्वारा झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2018 में विद्यालय शुल्क निर्धारण अध्यादेश लागू कर दिया गया है.
जनवरी 2019 के बजट में इसका प्रकाशन भी कर दिया गया है पर अभी तक किसी भी जिले में इसे लागू कराने के लिए राज्य के उपायुक्तों ने कोई उत्तरोत्तर कार्रवाई नहीं की है. इसमें उपायुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी में ना केवल फीस वृद्धि करनेवाले स्कूलों पर जुर्माना लगाया जाना है. बल्कि पेरेंट्स को बढ़ी हुई फीस वापसी का आदेश भी दिया जाना है. स्कूलों ने प्रदेश सरकार द्वारा बनाये गये कानून की अनदेखी कर ना केवल फीस सर्कुलर जारी कर दिया बल्कि उनके द्वारा मांगी गयी फीस जमा नहीं करने पर धमकी पेरेंट्स को दी जा रही है जो सरासर गलत है.
मंच ने राज्य सरकार से मांग की है कि इस अध्यादेश पर त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी जिलों के उपायुक्त को शीघ्र आदेश जारी किया जाये जिससे की अतिशीघ्र इस अधिनियम को लागू कर सख्ती से पालन किया जा सके तथा अभिभावकों को राहत मिल सके. मंच के प्रतिनिधि सभी जिलों के उपायुक्तों से मुलाकात कर इस अधिनियम को अतिशीघ्र लागू कराने की मांग करेंगे. उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2009 में राज्य सरकार एवं निजी विद्यालयों के लिए एक गाइडलाइन तैयार किया गया था.
10 वर्ष बीत जाने के बावजूद राज्य सरकार और विद्यालय इन नियमों का पालन करने को लेकर गंभीर नहीं हैं. जिससे अभिभावकों को हमेशा परेशानी का सामना करना पड़ा है. मौके पर सचिव नीरज भट्ट, संजीव दत्ता, अभय कुमार, दिलीप पाल, महेंद्र ठाकुर, संजीत राम, देव आनंद राय, कमल केसरी, मनोज कुमार, विनोद अग्रवाल, प्रमोद कुमार, बजरंग प्रसाद सहित अन्य लोग शामिल थे.

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