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जपला सीमेंट फैक्ट्री चालू होगी, मजदूरों के बकाये 36 करोड़ का चार महीने में भुगतान

कारखाना को लेकर राज्य सरकार के साथ बैठक 14 जून को हुसैनाबाद/हैदरनगर : जपला सीमेंट फैक्ट्री का हस्तांतरण नये प्रमोटर को कर दिया गया है. रविवार को पटना हाइकोर्ट के प्रतिनिधि विनोद कुमार चौधरी ने नये प्रमोटर उपेंद्र निखिल हाइटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के उपेंद्र सिंह को कारखाना की चाबी व सूची सौंप दी. श्री […]

कारखाना को लेकर राज्य सरकार के साथ बैठक 14 जून को

हुसैनाबाद/हैदरनगर : जपला सीमेंट फैक्ट्री का हस्तांतरण नये प्रमोटर को कर दिया गया है. रविवार को पटना हाइकोर्ट के प्रतिनिधि विनोद कुमार चौधरी ने नये प्रमोटर उपेंद्र निखिल हाइटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के उपेंद्र सिंह को कारखाना की चाबी व सूची सौंप दी. श्री चौधरी ने बताया कि बंद सीमेंट फैक्ट्री की नीलामी हुई थी. उपेंद्र सिंह ने 13 करोड़ 56 लाख रुपये कीमत लगा फैक्ट्री की स्वामित्व हासिल कर ली. उन्होंने बताया कि विधिवत रविवार से संपूर्ण कारखाना उनके स्वामित्व में आ गया है. फैक्ट्री हस्तांतरण के बाद उपेंद्र सिंह ने कारखाना की मशीनों का मुआयना किया. उन्होंने बताया कि हुसैनाबाद के लोगों के लिए यह कारखाना रोजी-रोटी के अलावा स्वाभिमान का भी प्रतीक है.
श्री सिंह ने कहा कि वह हैदरनगर के पंसा गांव केरहनेवाले हैं. उन्हें इस कारखाना से आत्मीय लगाव है. इसमें काम करनेवाले मजदूर उनके परिवार के सदस्य के समान हैं. उन्होंने कहा कि मजदूरों के बकाये 36 करोड़ का चार माह के भीतर भुगतान कर देंगे. फैक्ट्री शुरू कराने के लिए एक सप्ताह के भीतर कोलकाता से इंजीनियरों को बुलाया गया है.
उपेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य सरकार को भी कारखाना चलाने का प्रस्ताव दिया हूं. 14 जून को सरकार के साथ इस मुद्दे पर उनकी वार्ता की तिथि तय है. सरकार का सहयोग मिला, तो वह जपला की रौनक को दोबारा वापस लाकर दिखा देंगे. उन्होंने बताया कि पटना हाइकोर्ट का रुख मजदूरों के हित में सकारात्मक है. श्री सिंह ने बताया कि कारखाना के पास 15 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है. इस मौके पर उपेंद्र सिंह के साथ उनके भाई सत्येंद्र सिंह, टुटू सिंह, सलाहकार निदेशक मंडल के सुधीर कुमार, राजीव रंजन तिवारी, सरयू सिंह, वृजकिशोर सिंह, शम्मू हुसैन मौजूद थे. कारखाना की सुरक्षा व्यवस्था मन्नू पांडेय देखेंगे.
1991 से बंद है जपला सीमेंट फैक्ट्री
जपला सीमेंट फैक्ट्री की स्थापना वर्ष 1917 में मार्टिन बर्न कंपनी द्वारा की गयी थी. तब से लेकर 1984 तक इस कंपनी का प्रबंधन लगातार बदलते रहा. वर्तमान प्रबंधन एसपी सिन्हा ग्रुप के हाथों में है. यह कंपनी 1984 में बंद हुई थी. फिर बिहार सरकार के हस्तक्षेप के बाद वर्ष 1990 में खुली. बिहार सरकार ने पांच करोड़ रुपये की सहायता देने की बात कही थी. सरकार ने 2.5 करोड़ रुपये दिये . बाकी राशि नहीं दी गयी. इसी को आधार बनाते हुए प्रबंधन ने इसे चलाने से इनकार कर दिया. वर्ष 1991 से कंपनी बंद है. इस कंपनी में पांच हजार मजदूर कार्यरत थे. मजदूरों ने बकाये भुगतान को लेकर पटना हाइकोर्ट का रूख किया. वर्ष 2016 में पटना हाइकोर्ट के आदेश पर लिक्विडेटर नियुक्त किया गया. ताकि मजदूरों व बैंकों का बकाया भुगतान किया जा सके. 2017 में नये लिक्विडेटर नियुक्त किये गये. लिक्विडेटर द्वारा 10 मई 2018 को बिक्री का विज्ञापन प्रकाशित कराया गया. जिसे 17 मई को खोला गया और उपेंद्र निखिल हाईटेक कंस्ट्रक्शन प्राईवेट लिमिटेड ने नीलामी में हासिल कर लिया.

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