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स्वाभाविक रूप से मौत की शिकार हुई बाघिन के कंकाल को देखकर प्रभावित होते हैं पर्यटक

पलामू टाइगर रिजर्व में वन्य प्राणियों से आच्छादित इलाका बेतला नेशनल पार्क बाघिनों के लिए प्रिय स्थल रहा है.

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तसवीर-7 लेट-3 संग्रहालय मे रखा कंकाल संतोष कुमार. बेतला. पलामू टाइगर रिजर्व में वन्य प्राणियों से आच्छादित इलाका बेतला नेशनल पार्क बाघिनों के लिए प्रिय स्थल रहा है. जिस समय टाइगर प्रोजेक्ट बनाया गया. उस समय यहां बाघों की संख्या 50 से अधिक थी. यानी कि 1193 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले पीटीआर के चप्पे-चप्पे में बाघ थे. लेकिन बेतला नेशनल पार्क जो 226 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इस इलाके को बाघिनों के द्वारा पसंद किया गया. बीहड़ जंगलों से घिरे इस इलाके को बाघिन ने अपना सुरक्षित इलाका मानकर ही प्रवास करना शुरू किया. बेतला में रहनेवाले बाघिनों की हर एक गतिविधियों की चर्चा बेतला के लोगों के जुबान पर मौजूद है. बेतला पार्क घूमते समय वैसे इलाके को लोग याद करके उन बाघिनों का जिक्र करना नहीं भूलते, जिन्होंने कभी बेतला नेशनल पार्क पर राज किया था. बाघिन बेगम की याद लोगों के जुबां पर है. बाघिन रानी और उसके बच्चे बंटी बबली और शेरा को लोगों ने यहां करीब से देखा था. बाद में 2018 में भी एक बाघिन की मौत हो गयी. उसके पहले भी एक बाघिन की मौत हुई थी जिसके सिर को आज भी देखा सकता है. इन बाघिनों के यादों को बेतला के प्रकृति व्याख्या केंद्र संजोए हुए हैं. यहां पर बाघों की कई यादों को आज भी सुरक्षित रखा गया है. टाइगर प्रोजेक्ट की स्थापना के चार वर्ष बाद ही 1978 में एक बाघिन की मौत हुई थी. उसके स्केल्टन( कंकाल)को बेतला में रखा गया है. पलामू के पाटन में एक बाघ को मारा गया था. उसके स्केल्टन व शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को भी म्यूजियम/ प्रकृति व्याख्यान केंद्र सह संग्रहालय रखा गया है. बेतला आने वाले लोग बाघों की अवशेषों को देखकर बेतला के गौरवशाली इतिहास को याद कर सिहर जाते हैं. उस समय बेतला नेशनल पार्क घूमने आने वाले पर्यटकों को निश्चित रूप से बाघ या बाघिन दिखाई देती थी. खासकर हाथी की सवारी करने वाले पर्यटक को तो बाघों की गतिविधियों को बहुत ही करीब से देखने का अवसर मिलता था. वैसे समय में आने वाले पर्यटक आज भी जब बेतला पहुंचते हैं तो उन बाघिनों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं. बाघिनों को देखने वाले पर्यटक अपने साथ आने वाले बच्चों और परिजनों को इसका जिक्र करते हैं. विद्यार्थियों को सीखने का मिलता है अवसर बेतला के संग्रहालय में रखा गया बाघों का कंकाल विद्यार्थियों को सीखने का अवसर देता है. कंकाल को देखकर विद्यार्थी बाघों की शारीरिक बनावट का अध्ययन करते हैं. बायोलॉजी पढ़ने वाले विद्यार्थियों को तो इस कंकाल से बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलता है. इसलिए वैसे विद्यार्थी जो यहां पहुंचते हैं बहुत ही बारीकी से उसका अध्ययन करते हैं.

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