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इस वर्ष भी ठगे रह गये प्रखंडवासी, दूर नहीं हुई प्रखंड की जटील समस्याएं

इस वर्ष भी ठगे रह गये प्रखंडवासी, दूर नहीं हुई प्रखंड की जटील समस्याएं

चंदवा़ वर्ष 2026 दस्तक देने को है. यह नया वर्ष नयी उमंग और नयी आशा लेकर आने को बेताब है. प्रखंडवासियों में भी नये वर्ष को लेकर नयी ऊर्जा दिख रही है. हालांकि, उनके चेहरों पर उदासी के भाव भी स्पष्ट पढ़े जा सकते हैं. उदासी का मुख्य कारण यह है कि प्रखंड की कई जटिल समस्याएं वर्ष 2025 में भी खत्म नहीं हुई. स्थानीय लोगों का भरोसा फिर से टूट गया है. लगा था कि वर्ष 2025 में प्रखंड की कुछ गंभीर समस्याओं का अंत होगा पर ऐसा हुआ नहीं. आज भी टोरी लेबल क्रासिंग बना है परेशानी का सबब : प्रखंड की सबसे बड़ी जटील समस्याओं में से एक है, एनएच-99 पर टोरी रेलवे क्रासिंग में लगनेवाला जाम. आलम यह है कि 24 घंटे में यह रेलवे क्रासिंग करीब 16-17 घंटे बंद रहता है. क्रासिंग बंद होने से लोगों की जान जा रही है. यहां आरओबी निर्माण के लिए तीन अप्रैल 2021 को शिलान्यास भी किया गया, पर रेलवे, एनएचएआइ व भू-अर्जन विभाग की कच्छप गति की कार्रवाई के कारण यह आज भी लटका है. इस एनएच पर यात्रा करनेवाले व स्थानीय लोग इससे खासा परेशान हैं. भूमि अधिग्रहण पर सांसद भी खामोश हैं. पिछले कई माह से वे चंदवा आये ही नहीं. हाल सर्वे में त्रुटि, नहीं सुधरी जमीन अभिलेखों की गलतियां : प्रखंड में एनएचएआइ की पहल पर फोनलेन सड़क निर्माण, टोरी रेलवे क्रासिंग पर आरओबी निर्माण, पीवीयूएनएल की बनहरदी कोल परियोजना, हिंडाल्को की चकला कोल परियोजना, टीवीएनएल की रजवार ई एंड डी कोल परियोजना जैसी बड़ी परियोजना का काम होना है. करीब-करीब सभी परियोजना में भूमि अधिग्रहण का काम हाल सर्वे की त्रुटि के कारण लटका पड़ा है. आये दिन भूमि अभिलेखों में सुधार की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन होते रहते हैं. मिनी सर्वे की बात भी हुई थी, बावजूद पूरे जिले की इस गंभीर समस्या पर कोई कार्य नही हुआ. इससे प्रखंड व स्थानीय लोगों का विकास पूरी तरह थम सा गया है. नहीं शुरू हो पाया डिग्री कॉलेज व ट्रामा सेंटर : इसके अलावे चंदवावासी पिछले कई वर्षों से डिग्री कॉलेज की मांग कर रहे हैं. जगत मोहन जगधात्री नाथ महाविद्यालय के लिए करीब साढ़े 12 एकड़ भूमि भी दान दी गयी है. भवन भी बने हैं. कई बार प्रक्रिया के बावजूद डिग्री कॉलेज पर काम शुरू नहीं हो पाया. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का सुविधा संपन्न नहीं होना भी स्थानीय लोगों को सालता है. यहां चिकित्सकों की घोर कमी है. लुकूइयां गांव में ट्रामा सेंटर तो बना, पर अब तक यह शुरू नहीं हो पाया. इस दिशा में स्थानीय विधायक भी शिथिल पड़े हैं. पर्यटन स्थलों का नही हुआ विकास : यहां पर्यटन स्थलों का भी अपेक्षित विकास नहीं हो पाया. यहां मां उग्रतारा देवी का प्राचीन मंदिर है. इसके अलावे नगर डैम, देवनद-मुगलदहा नदी मिलन स्थल, कांति झरना, झुनझुनिया फॉल समेत कई ऐसे स्थल हैं, जिसे विकसित कर राज्य के मानचित्र में चंदवा को आगे बढ़ाया जा सकता था, पर इस दिशा में भी कार्य नहीं हुआ. प्रखंड मुख्यालय में सीएचसी के समीप पर्यटन सुविधा केंद्र का निर्माण किया गया, पर यह भी वर्षों से बंद पड़ा है. जगराहा डैम अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. ऐसे में विकास की बात बेमानी होगी. आने वाले दिनों में कई बड़ी परियोजनाओं पर काम होना है. प्रखंडवासी नये वर्ष में इन जटिल होती समस्याओं का अंत जरूर देखना चाहेंगे.

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