बेतला. सरइडीह शिव मंदिर में स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित श्री राम कथा के तीसरे दिन अयोध्या से पधारे श्री प्रद्युमन शरण जी महाराज ने सत्संग का बखान किया. उन्होंने कहा कि सत्संग से जीवन सफल हो जाता है. सत्संग हमें सच्चे राह पर चलने की सीख देते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों को भी सत्संग के महत्व को बताना चाहिए. सत्संग और श्री राम कथा के श्रवण मात्र से बच्चों में संस्कार आता है. आज कई ऐसे विद्यालय हैं, जहां संस्कार सिखाया जाता है. लेकिन जो संस्कार श्री राम कथा के सुनने से आता है, वह कहीं भी नहीं है. कथा के दौरान उन्होंने पति पत्नी के संबंधों पर भी सूक्ष्मता से वर्णन किया. उन्होंने कहा कि पति-पत्नी का रिश्ता पूरी तरह से विश्वास और समर्पण पर टिका होता है. इसलिए कभी भी विश्वास घात नहीं करना चाहिए. पति को पत्नी से और पत्नी को पति से पर अटूट विश्वास ही उन्हें जीवन भर बांधकर रखता है. कथा के दौरान शिव और सती के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि जैब राजा दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था और वहां उन्हें सम्मान नहीं दिया गया तो सती ने अपना प्राण का त्याग किया था. मरते समय भी उन्होंने यही कहा था कि जन्म-जन्मांतर तक शिव के चरणों में ही वह रहकर सेवा करना चाहती है. प्रवचन के दौरान शिव पार्वती के विवाह का भी दृश्य की झांकी प्रस्तुत किया गया. जिसे लोगों ने सराहना की. ज्ञात हो कि पांच दिवसीय श्री राम कथा में बारिश होने के बावजूद भी लोगों की भीड़ उमड़ रही है.
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