महुआडांड़. प्रखंड में मसीही विश्वासियों ने रविवार को ईस्टर (पास्का) का त्योहार परंपरागत तरीके से मनाया. इस अवसर पर संत जोसेफ बड़ा गिरजाघर समेत महुआडांड़ के अन्य पल्ली में विशेष मिस्सा अनुष्ठान व बाइबल पाठ किये गये. संत जोसेफ बड़ा गिरिजाघर में मुख्य अनुष्ठानकर्ता पतरस तिर्की लकड़ा थे. फादर ने कहा कि ईस्टर (पास्का) पर्व हमारे लिए आस्था और विश्वास का पर्व है. इस दिन प्रभु यीशु ने पाप, दुख और तकलीफ से पार पाया. प्रभु यीशु ने अपने बहुमूल्य जीवन को लोगों की भलाई और खुशी के लिए कुर्बान कर दी. मृत्यु के तीसरे दिन पुन: जी उठे. ईस्टर के मौके पर गिरजाघरों में फादर रौशन, फादर सुरेश व फादर कमिल समेत मसीही विश्वासी उपस्थित थे. मुख्य फादर सुरेश ने कहा कि प्रभु यीशु ने पुण्य शुक्रवार क्रूस पर अपना बलिदान देकर समस्त मानव जाति को उसके पापों से उद्धार किया. उनका यह बलिदान ईश्वर के प्रति सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है. रविवार की रात वह जी उठे. इसी याद में ईस्टर मनाया जाता है. यह ज्योति का पर्व है. हम रात्रि जागरण मिस्सा के माध्यम से ज्योति (मोमबत्ती) जलाकर ज्योति की गुणगान करते हैं. ईस्टर का शाब्दिक अर्थ है गुलामी से आजाद होना. अंधकार से प्रकाश में आना. मौके पर फादर बार्थो ने विश्वासियों के बीच अपने संदेश में कहा कि जिस प्रकार ईश्वर ने प्रभु यीशु के क्रूस पर बलिदान से मनुष्यों को अपने से जोड़ने का काम किया है. प्रभु यीशु काफी दुख तकलीफ सहे क्रूस मृत्यु से उन्होंने समस्त मानव जाति के पापों का उद्धार किया.
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