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पांच साल से बंद है माइक्रोलिफ्ट

वित्तीय वर्ष 2011-12 में आठ लाख रुपये की लागत से हुआ था माइक्रोलिफ्ट का निर्माण लातेहार : जिला मुख्यालय से सटे सोलोडीह ग्राम में बनी माइक्रोलिफ्ट योजना मामूली खराबी के कारण पांच साल से बंद है. किसान अपने खर्च पर डीजल पंप से पानी खेतों तक पहुंचाते हैं. लातेहार जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर […]

वित्तीय वर्ष 2011-12 में आठ लाख रुपये की लागत से हुआ था माइक्रोलिफ्ट का निर्माण

लातेहार : जिला मुख्यालय से सटे सोलोडीह ग्राम में बनी माइक्रोलिफ्ट योजना मामूली खराबी के कारण पांच साल से बंद है. किसान अपने खर्च पर डीजल पंप से पानी खेतों तक पहुंचाते हैं.

लातेहार जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर स्थित सालोडीह पहाड़ी से घिरा एक गांव है. इस गांव में एक गरम जल का कुंड है. यहां हमेशा पानी निकलता रहता है.

मान्यता है कि गरम जल कुंड में जो भी स्नान करता है, उसके कई प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं. इस कुंड का जल बेकार नहीं हो, इसके लिए लघु सिंचाई विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2011-12 में आठ लाख रुपये की लागत से माइक्रोलिफ्ट बनायी गयी थी. आसपास के खेतों में पाइप लाइन भी बिछाने का कार्य किया गया था. एक-दो महीना चालू रहने के बाद माइक्रोलिफ्ट मामूली खराबी के कारण बंद हो गया. अब उक्त माइक्रोलिफ्ट से किसानों के खेतों तक पानी नहीं पहुंचता है. किसानों के मुताबिक, माइक्रोलिफ्ट से खेत तक पहुंचनेवाली पाइप लाइन में खराबी है, जिसे आसानी से ठीक किया जा सकता है.

किसान विजय अगेरिया व एक्का एगेरिया ने बताया कि हम लोग सालों भर खेती करते हैं. कुंड के आसपास हम लोगों की दो एकड़ जमीन है. खेतीबारी कर घर का खर्च चलाते हैं. लेकिन माइक्रोलिफ्ट से हमें कोई फायदा नहीं होता है. पानी खेतों तक पहुंचता ही नहीं. स्वयं के खर्च पर डीजल पंप चला कर कुंड से खेतों तक पानी पहुंचाते हैं. अगर इस माइक्रोलिफ्ट को दुरुस्त किया जाये तो किसान लाभान्वित होंगे.

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