बारियातू. प्रखंड के साल्वे पंचायत अंतर्गत जबरा गांव में झारखंड आवासीय विद्यालय की स्थिति किसी जेल से कम नहीं है. इस विद्यालय की 218 छात्राएं महज पांच कमरों में नारकीय स्थिति में रह रही हैं. वहीं जबरा में 2021 से बन रहा बालिका आवासीय विद्यालय का भवन पांच साल में भी तैयार नहीं हो पाया है. वर्ष 2021 से शुरू विद्यालय भवन का निर्माण कार्य सिर्फ पिलर खड़ा होकर ही रुक गया है. छात्राओं व अभिभावकों की मानें, तो एक कमरे में 45-50 छात्राएं रहने को विवश हैं. ऐसे में अधिकांश छात्राएं आये दिन बीमार पड़ जा रही हैं. पढ़ाई के साथ रहने में भी उन्हें परेशानी होती है. बताया जाता है कि आवासीय विद्यालय के कमरे में डबल चौकी के एक बिछावन पर दो से तीन छात्राएं किसी तरह सोती हैं. गर्मी के मौसम में इनकी परेशानी और अधिक बढ़ जाती है. वहीं अभिभावकों की मानें, तो उनकी बच्चियों की स्थिति विद्यालय में ठीक नहीं है. पढ़ाई के साथ रहने में भी उन्हें परेशानी हो रही है. 218 छात्राओं के भोजन बनाने के लिए रसोई की व्यवस्था भी जर्जर है.
क्या कहती हैं छात्राएं:
मोनिका कुमारी:
वर्ग नौ की छात्रा मोनिका कुमारी ने बताया कि उसने वर्ग छह में इस विद्यालय में नामांकन कराया था. उस वक्त भी विद्यालय में रहने की जगह नहीं थी. तब बताया गया था कि विद्यालय का भवन बन रहा है. वर्ग सात की पढ़ाई नये भवन में होगी, लेकिन आज तक भवन नहीं मिला.कलावती कुमारी:
वर्ग आठ की छात्रा कलावती कुमारी ने कहा कि अपना भवन नहीं रहने के कारण राजकीय मध्य विद्यालय के पांच कमरों में विद्यालय का संचालन हो रहा है. जगह नहीं रहने के कारण उन्हें पढ़ाई के साथ सोने में भी परेशानी होती है. विद्यालय में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.ललिता कुमारी:
वर्ग सात की छात्रा ललिता कुमारी ने कहा कि भवन की कमी के कारण बुनियादी सुविधाओं के अभाव में वह पढ़ाई कर रही है. जगह नहीं रहने के कारण पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पाती है. ऐसे में मानसिक व शारीरिक विकास भी प्रभावित हो रहा है. रात में ठीक से नींद नहीं आती है.दीपिका कुमारी:
वर्ग छह की छात्रा दीपिका कुमारी ने कहा कि अभिभावकों ने घर से हमें आवासीय विद्यालय पढ़ने भेजा है. यहां कमरों की कमी है. ऐसे में पढ़ाई प्रभावित हो रही है. सुविधा नहीं मिलने के कारण मनोबल टूट रहा है. यहां की समस्या को देखनेवाला कोई नहीं है. रात में नींद नहीं आती है. क्या है मामला: करीब चार वर्ष पूर्व बरछिया के जबरा गांव में सड़क किनारे करोड़ों की लागत से झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय का भवन निर्माण कार्य वर्ष 2021 में शुरू हुआ था. संवेदक ने कार्य को पेटी कांट्रेक्ट पर ओमप्रकाश नामक संवेदक को दे दिया है. दोनों के बीच पैसे के लेन-देन के कारण भवन निर्माण कार्य प्रभावित हुआ है. अब तक महज पिलर ही खड़ा है. ग्रामीणों के अनुसार दो माह पूर्व लातेहार उपायुक्त उत्कर्ष गुप्ता ने बालूभांग पंचायत सचिवालय का दौरा हुआ था. उन्होंने एक अप्रैल से नये भवन में पठन-पाठन कराने का आश्वासन दिया था, लेकिन स्थिति यथावत है. कमरे के अभाव में डाइनिंग टेबल व बेंच-डेस्क स्कूल की छत पर बेकार पड़े हैं.क्या कहती हैं वार्डेन
विद्यालय की वार्डेन कांति कुजूर ने कहा कि यहां 218 छात्राएं नामांकित हैं. फिलहाल पांच कमरे में ही रहना और पढ़ना होता है. बच्चियों को काफी समस्या हो रही है. जगह की कमी के कारण दसवीं की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. कई बार इसके लिए पत्राचार किया है, पर समाधान नहीं निकला.क्या कहते हैं मुखिया:
पंचायत के मुखिया राजीव भगत ने कहा कि भवन निर्माण में देरी के कारण छात्राओं को 12वीं की पढ़ाई के लिए दूसरे विद्यालय में जाना पड़ेगा. संवेदक की ओर से निर्माण कार्य में अनियमितता बरती गयी है. मामले की जांच कर उचित कार्रवाई कर तत्काल निर्माण कार्य को पूर्ण करने की मांग की गयी है.जल्द ही निर्माण कार्य पूर्ण होगा: संवेदकसंवेदक ने कहा कि यह वर्ष 2017-18 का काम है. विभाग की ओर से समय पर जमीन नहीं दी गयी. बीच में दो वर्ष कोविड में कार्य प्रभावित रहा. इस कारण निर्माण कार्य में विलंब हुआ. पैसे के अभाव में मजदूरों व सप्लायरों का भुगतान नहीं हो पाया था. राशि मिली है. जल्द ही निर्माण कार्य पूर्ण किया जायेगा.
क्या कहते हैं डीइओमामले में पूछे जाने पर डीइओ प्रिंस कुमार ने बताया कि निर्माण कार्य का लेखा-जोखा स्टेट से होता है. जिला से कार्रवाई के लिए स्टेट को पत्र लिखा गया है. जवाब आने के बाद आगे की कार्यवाही होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

