52200 रुपये नौवीं कक्षा के विद्यार्थी के खाते में आया, बैंक अधिकारी ने खाता होल्ड किया
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लाभुक के नाबालिग पुत्र के खाते में आयी पीएम आवास की किस्त
52200 रुपये नौवीं कक्षा के विद्यार्थी के खाते में आया, बैंक अधिकारी ने खाता होल्ड किया छात्रवृत्ति निकालने ग्रामीण बैंक पहुंचने पर हुआ मामले का खुलासा चंदवा : जिले के कई प्रखंडों में प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी व शिकायतें आम हैं. नया मामला बारियातू प्रखंड से है. यहां प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि नौवीं […]
छात्रवृत्ति निकालने ग्रामीण बैंक पहुंचने पर हुआ मामले का खुलासा
चंदवा : जिले के कई प्रखंडों में प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी व शिकायतें आम हैं. नया मामला बारियातू प्रखंड से है. यहां प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि नौवीं में पढ़नेवाले एक छात्र के खाते में भेजने का मामला प्रकाश में आया है.
प्रखंड की साल्वे पंचायत अंतर्गत जबरा गांव के रूचवा टोला निवासी हरिलाल गंझू पिता स्व गंगा गंझू को वित्तीय वर्ष 2016-17 में आवास योजना का लाभ मिला था. इसके तहत प्रथम किस्त की राशि 26 हजार रुपये 24 मई 2018 को हरिलाल की पत्नी रति देवी के खाते में भेज दी गयी. इसके बाद उसने घर बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी. बीच का किस्त कहां गया इस संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल रही है. अंतिम किस्त कि राशि हरिलाल के पुत्र दिनेश गंझू के खाते में 52,200 रुपये पांच फरवरी 2020 को आया.
दिनेश गोनिया उत्क्रमित उच्च विद्यालय में नौवीं वर्ग का छात्र है. मामले का खुलासा तब हुआ जब दिनेश गंझू बारियातू स्थित झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक से अपनी छात्रवृत्ति का पैसा निकालने आया. बैंक कैशियर ने उसके खाते में अधिक राशि देख खाता होल्ड कर दिया. जानकारी के बाद पता चला कि उक्त पैसा प्रधानमंत्री आवास मद का है.
गौरतलब है कि प्रखंड में यह पहला मामला नहीं है. पूर्व में भी शिबला पंचायत के बेसरा गांव निवासी शांति मसोमात के साथ ऐसी घटना घट चुकी है. वर्ष 2018-19 में उसे पीएम आवास योजना का लाभ मिला था. प्रखंड कर्मियों की लापरवाही के कारण प्रथम किस्त की राशि कुशमाहा गांव निवासी शांति देवी पति उमेश गंझू के खाते में भेज दी गयी थी. अब तक उक्त राशि शांति को वापस नहीं मिली है. पैसे के अभाव में आज भी वह जर्जर आवास में रहने को विवश है.
कर्मियों की लापरवाही या घोटाला : पीएम आवास की राशि दूसरे के खाते में भेजने संबंधी मामला नया नहीं है. सवाल यह उठता है कि यह कर्मियों की लापरवाही है या घोटाला. ज्ञात हो कि निर्माण कार्य के आधार पर स्वयंसेवक प्रखंड को प्रति लाभुक रिपोर्ट करते हैं. इसे प्रखंड समन्वयक जांचोपरांत सूची बनाकर प्रखंड विकास पदाधिकारी को सौंपते हैं. यहां से बीडीओ खुद के डोंगल से एफटीओ के माध्यम लाभुक के खाते में भुगतान करते हैं.
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