लातेहार : लातेहार जिले के 62 अधिवक्ताओं के लिए पिछले दस वर्षों में 39 लाख रुपये की लागत से तीन भवन बनाये गये हैं. लेकिन आज भी इन्हें अपनी झोपड़ी में बैठ कर ही काम करना रास आ रहा है. भवनों के बाहर गलियारे में या पेड़ के नीचे वकीलों ने सालों से अपनी बैठकी बना रखी है. अधिवक्ताओं का कहना है कि भवन में जगह की कमी है. पानी व शौचालय की व्यवस्था नहीं है, जिस कारण वे वहां नहीं जाना चाहते हैं.
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39 लाख के तीन भवन, फिर भी झोपड़ी में बैठते हैं वकील
लातेहार : लातेहार जिले के 62 अधिवक्ताओं के लिए पिछले दस वर्षों में 39 लाख रुपये की लागत से तीन भवन बनाये गये हैं. लेकिन आज भी इन्हें अपनी झोपड़ी में बैठ कर ही काम करना रास आ रहा है. भवनों के बाहर गलियारे में या पेड़ के नीचे वकीलों ने सालों से अपनी बैठकी […]
गौरतलब है कि बीस वर्ष पहले अनुमंडल कोर्ट में अधिवक्ताओं की संख्या भी बहुत कम थी. वर्तमान समय में सिविल कोर्ट होने के बाद 62 अधिवक्ता हैं. 1924 में लातेहार अनुमंडल बना था, तब सिर्फ अनुमंडल कोर्ट ही चलता था. पलामू से अलग होकर वर्ष 2004 में लातेहार जिला बना. फिर व्यवहार न्यायालय बना. इसके बाद वकीलों के बैठने के लिए एक-एक कर तीन भवनों का निर्माण हुआ.
बैठक व चुनाव कार्य में होता है इस्तेमाल : वर्ष 2008 में विधायक रहते प्रकाश राम ने अपने कोटे की पांच लाख रुपये की लागत से भवन बनवाया था. उसके बाद वैद्यनाथ राम ने अपने कार्यकाल में वर्ष 2011 में पांच लाख रुपये की लागत से पहले के भवन पर ऊपरी तल्ला का निर्माण कराया. तत्कालीन सांसद इंदर सिंह नामधारी ने वर्ष 2011 में पांच लाख रुपये की लागत से एक भवन का निर्माण कराया था.
इसके बाद वर्ष 2017 में भवन निर्माण विभाग द्वारा 24 लाख रुपये की लागत से अधिवक्ता संघ भवन का निर्माण कराया गया है. यानी वर्ष 2008 से वर्ष 2017 तक कुल 39 लाख रुपये की लागत से अधिवक्ताओं के बैठने के लिए भवन का निर्माण कराया गया है. 2017 में बने भवन में ही शौचालय की सुविधा है. लेकिन इसका इस्तेमाल सिर्फ बैठक और चुनाव कार्य में होता है.
दो भवनों में नहीं है शौचालय : वर्ष 2008 और 2011 में बने भवन दो-दो मंजिला हैं. इन दोनों भवन के ग्राउंड फ्लोर पर कुछ जूनियर वकील बैठते हैं. पुराने भवन में पुस्तकालय की व्यवस्था है जिसमें कानून से संबंधित बहुत सारी पुस्तकें भी उपलब्ध हैं. इस भवन में एक शौचालय भी है, लेकिन उसका इस्तेमाल वर्षों से नहीं हो रहा है.
वहीं वर्ष 2011 में बने भवन में शौचालय नहीं है. इस भवन के प्रथम तल्ले पर वकीलों ने अपना कंप्यूटर कक्ष बना रखा है. वर्ष 2017 में बना भवन काफी अच्छा है. शौचालय की भी व्यवस्था है. लेकिन इस भवन के बाहर बरामदे में ही अधिवक्ता बैठते हैं. नये भवन के हॉल में सिर्फ महापुरुषों की तस्वीर लगी हुई है.
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