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पुलिस-प्रशासन की छवि होती रही धूमिल

कोडरमा : जिले में विधानसभा चुनाव के बाद 2015 की शुरुआत में ही बड़े फेरबदल हुए. उपायुक्त के रवि कुमार का तबादला हुआ, तो नये उपायुक्त छवि रंजन बने़ वहीं एसपी संगीता कुमारी का तबादला हुआ, तो नये एसपी वाई एस रमेश बने. शासन प्रशासन की छवि ऐसी बनी कि साल के अंत तक नये […]

कोडरमा : जिले में विधानसभा चुनाव के बाद 2015 की शुरुआत में ही बड़े फेरबदल हुए. उपायुक्त के रवि कुमार का तबादला हुआ, तो नये उपायुक्त छवि रंजन बने़ वहीं एसपी संगीता कुमारी का तबादला हुआ, तो नये एसपी वाई एस रमेश बने.

शासन प्रशासन की छवि ऐसी बनी कि साल के अंत तक नये आये डीसी व एसपी कोडरमा में टिक नहीं पाये. पुलिस प्रशासन पर साल भर सामने आते रहे सनसनीखेज मामले ने खूब किरकिरी करायी तो कुछ माह बाद ही एसपी बदल गये. नये एसपी आये नवीन कुमार सिन्हा, पर पुलिस प्रशासन के क्षेत्र में बदलाव को लेकर कुछ खास होता नहीं दिखा. इस एक वर्ष में जिले के दो बड़े अधिकारी रिश्वत लेते निगरानी के हत्थे चढ़े. 16 जून 2015 को सतगावां के सीओ यादव बैठा व उनके चालक को निगरानी की टीम ने दाखिल खारिज के नाम पर 15 हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़ा.

इसके कुछ माह बाद ही 28 सितंबर को निगरानी की टीम ने झुमरीतिलैया में माप तौल निरीक्षक आलोक कुमार, उनके चालक प्रमोद कुमार व एजेंट महेंद्र राम को 3500 रुपये रिश्वत लेने के आरोप में दबोचा. निगरानी की जिले में इस तरह की कार्रवाई पहली बार हुई. वहीं 19 मार्च को सामने आये एक मामले ने पूरे राज्य को शर्मसार कर दिया.

पुलिसकर्मियों की मिलीभगत से एक करतूत सामने आयी, तो यह खबर देश भर में फैल गयी. 19 मार्च को कोडरमा के चार पुलिस कर्मी सजायाफ्ता कैदी को कोडरमा जेल से रिम्स ले जाने के बजाय आसनसोल के पास स्थित रेड लाइट एरिया में ले गये. मामला सामने आया तो डीजीपी ने चारों को सस्पेंड व बाद में बरखास्त करने का आदेश जारी किया. 21 मार्च को चारों पुलिस कर्मी सस्पेंड कर दिये गये. लेकिन इन्होंने बाद में कोडरमा थाना में एक अलग मामला दर्ज कराकर खुद को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया.

साल के अंत दिसंबर में तो सामने आये ताजा मामले पेड़ कटाई के ने तो सबको चौंका कर रख दिया. मरकच्चो प्रखंड मुख्यालय स्थित डाक बंगला परिसर में छह इमारती पेड़ काटे गये, तो डीडीसी केके ठाकुर जांच में चले गये. प्रत्यक्ष रूप से डीडीसी ने ग्रामीणों के हवाले से दावा किया कि पेड़ कटाई के समय सीओ व डीसी के अंगरक्षक मौजूद थे. मामला दर्ज हुआ तो विधानसभा में सवाल उठ गया. रांची से जांच टीम आयी.

मुख्यमंत्री ने सदन में जवाब देते हुए सीओ व डीसी के अंगरक्षक को सस्पेंड कर दिया तो डीसी व डीडीसी को रांची मुख्यालय बुला लिया गया.

बिरहोरों की होती रही मौत, बड़े मामले हो गये दफन : शासन प्रशासन की भूमिका पर इसलिए भी सवाल उठे कि तमाम योजनाएं जिस निचले व्यक्ति तक पहुंचाने के दावे किये जाते हैं वह दिखा नहीं.

जिले में लगातार बिरहोर परिवार के सदस्यों की मौत हुई. नौ सितंबर को डोमचांच के जियोरायडीह में बिरहोर परिवार के दो नवजात की मौत के बाद तो जांच टीम बनी, लेकिन जांच टीम रिपोर्ट वार में ही उलझ कर रह गयी. कार्रवाई के नाम पर हुआ कुछ नहीं. अन्य बिरहोर की मौत के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. वहीं बिरहोरों को प्रशिक्षण देने के नाम पर लाखों रुपये का घपला सामने आया, तो डीसी ने जांच के आदेश दिये. लेकिन यह मामला भी बीच में दब गया.

छापामारी तो खूब हुई, पर कार्रवाई नहीं : पूरे एक साल प्रशासनिक अधिकारियों ने गैर कानूनी काम के खिलाफ छापामारी तो खूब की, लेकिन किसी भी एक मामले में बाद में कार्रवाई नहीं हुई. अधिकतर मामलों में लीपापोती कर दी गयी. 15 जुलाई को शहर के उत्क्रमित मध्य विद्यालय तिलैया बस्ती में मध्याहन भोजन में खराब अंडा खाने से 150 बच्चे बीमार हुए.

इस मामले में जांच के लिए भेजे गये सैंपल की रिपोर्ट जो तीन सितंबर को सामने आयी उसके अनुसार सैंपल जांच के लायक हीं नहीं था. लापरवाही का जिम्मेवार कौन है, इसका निर्धारण नहीं हो सका. वहीं 28 अगस्त को प्याज की जमाखोरी को लेकर एसडीओ के नेतृत्व में तिलैया के सामंतो काली मंदिर के पीछे स्थित मकान में छापामारी हुई.

बताया गया 400 क्विंटल प्याज है, मामला दर्ज हुआ, लेकिन तीन सितंबर को कराये गये वजन में उक्त प्याज 11 क्विंटल हो गया. नन बैंकिंग कंपनी के खिलाफ कार्रवाई भी सवालों के घेरे में रही. एसडीओ ने एक सितंबर को केदारमणि कांप्लेक्स में ग्रामीण सेवा को-अॉपरेटिव क्रेडिट सोसायटी लि. के दफ्तर में छापामारी की. शाखा सील कर दिया गया, पर दो दिन बाद ही सील खुल गया. डीसी तक मामला पहुंचा. एसडीओ से स्पष्टीकरण मांगा गया पर हुआ कुछ नहीं.

खाद की कालाबाजारी के खिलाफ छापामारी भी खानापूर्ति रही. इसके अलावा जिले में अवैध खनन के मुद्दे पर भी कुछ ऐसा ही दिखा. बीच-बीच में छापामारी हुई. इंदरवा में ब्लू स्टोन के अवैध खनन पर छापामारी का ब्लू प्रिंट तैयार कर बड़े दावे किये गये. पर ऐन मौके पर पुलिस प्रशासन बैकफुट पर आ गया.

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