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कोडरमा : रिम्स के एमबीबीएस में नामांकन दिलाने के नाम पर उत्तरप्रदेश के सुनील कुमार मिश्र नामक युवक की ओर से कोडरमा थाना में दर्ज कराये गये फर्जीवाड़ा के मामले के बाद पुलिस जांच में कई खुलासे हो रहे हैं. हालांकि पुलिस अभी तक नामांकन दिलाने के नाम पर ठगी करनेवाले गिरोह तक नहीं पहुंच पायी है.
कोडरमा पुलिस के अनुसंधान में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस गिरोह ने जमशेदपुर स्थित एक्सएलआरआइ के एमबीए में नामांकन दिलाने के नाम पर भी ठगी की है.
धनबाद जिला परिषद के असिस्टेंट इंजीनियर नागेंद्र सिंह का पुत्र राहुल कुमार इस गिरोह का शिकार बन चुका है. ठगी के लिए उसी तरीके का इस्तेमाल हुआ, जो सुनील के मामले में हुआ है. यहां भी मानव संसाधन विकास विभाग, झारखंड सरकार में अच्छी पैठ बता कर उसे नामांकन दिलाने का झांसा दिया गया.
राहुल ने गिरोह के व्यक्ति के कहने पर बैंक खाते में 40 हजार रुपये डाले भी. बाद में उसे ठगी का एहसास हुआ, तो बेंगलुरु में ही मामला दर्ज कराया. राहुल फिलहाल बीटेक कर बेंगलुरु में ही रह रहा था. दरअसल पुलिस को इस मामले की जानकारी तब लगी, जब सुनील के आवेदन पर जांच शुरू हुई. आवेदन में दिये गये मोबाइल नंबर के कॉल डिटेल को जब पुलिस ने खंगाला, तो एक नंबर से इस पर कई बार बात की गयी थी.
वह मोबाइल नंबर धनबाद जिला परिषद के असिस्टेंट इंजीनियर का था. कोडरमा पुलिस ने वहां छापामारी कर नागेंद्र सिंह को हिरासत में लिया, पर पूछताछ में उसने खुद के बेटे के साथ हुई ठगी की बात बतायी. इसके बाद पुलिस ने बेंगलुरु से राहुल को बुला कर उससे पूछताछ की. राहुल ने बताया कि उसने ठगी को लेकर बेंगलुरु में मामला दर्ज कराया है. इस बात की जानकारी के बाद पुलिस ने फिलहाल असिस्टेंट इंजीनियर को छोड़ दिया है. हालांकि शुरुआत में पुलिस को इसलिए ज्यादा शक हुआ कि उसके बैंक खाते में करोड़ों की राशि का ट्रांजेक्शन हुआ है. हालांकि इंजीनियर के अनुसार यह राशि जिला परिषद से जुड़ी है.
क्या है मामला
बीते दिन कोडरमा थाना में उत्तरप्रदेश निवासी सुनील कुमार मिश्र पिता इंद्रमणि मिश्र के आवेदन पर कोडरमा थाना में मामला दर्ज किया गया था. इसमें रिम्स के एमबीबीएस में नामांकन दिलाने के नाम पर लाखों की रुपये की मांग करने व इससे संबंधित शिक्षा मंत्री का अनुशंसा पत्र भेजे जाने की बात कही गयी थी. शिक्षा मंत्री का अनुशंसा पत्र रिम्स के निदेशक के नाम था. हालांकि मंत्री का कहना है कि लेटर पैड व हस्ताक्षर दोनों फर्जी हैं. पुलिस ने इस मामले में सुनील को फोन कर नामांकन का झांसा देनेवाले अजरुन सिंह, रिम्स के कथित छात्र मनोज कुमार पांडेय व खाताधारक मदन मोहन मिश्र पर मामला दर्ज किया था.
फोटो एक, नाम दो और खुल गया खाता
पुलिस अनुसंधान में बैंकों की लापरवाही का भी मामला सामने आया है. जांच के क्रम में यह बात सामने आयी कि सुनील को जो खाता नंबर मदन मोहन मिश्र नामक व्यक्ति का देकर ढ़ाई लाख रुपये भेजने को कहा गया था वह सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया लालपुर रांची का है.
पुलिस ने जब इसकी पड़ताल की तो इसमें लगा प्रमाण पत्र फर्जी निकला. उस पते पर इस नाम का कोई व्यक्ति था ही नहीं. यही नहीं जब पुलिस ने राहुल के मामले में जमशेदपुर स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के खाते की जांच की तो वहां अलग नाम से खाता खुला मिला. यहां संदीप वर्णवाल के नाम से खाता संचालित था, जबकि रांची व जमशेदपुर दोनों जगहों पर खाता खुलवाने में प्रयोग की गयी तसवीरें एक ही व्यक्ति की है. जमशेदपुर में गलत पता पर खाता खुलवाने को लेकर बाद में एक मामला भी दर्ज हुआ था.
रांची के खाते से चार लाख से ज्यादा का ट्रांजेक्शन
पुलिस जांच में यह बात भी सामने आयी कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, रांची के खाते में पिछले कुछ दिनों में चार लाख से ज्यादा का ट्रांजेक्शन हुआ है. एक बार तीन लाख व दूसरी बार एक लाख 25 हजार. हालांकि उक्त रकम बाद में एटीएम से निकाल ली गयी. पुलिस अब एटीएम के फुटेज के आधार पर आगे की जांच कर सकती है. वहीं जमशेदपुर के खाते में ट्रांजेक्ट हुई राशि की जानकारी नहीं मिल पायी है.
तीन जिलों की पुलिस कर रही जांच : एसपी
कोडरमा के एसपी वाइएस रमेश ने बताया कि नामांकन के नाम पर फर्जीवाड़ा का मामला बड़े स्तर का है. यह गिरोह शातिर है. इस मामले की जांच कोडरमा पुलिस के साथ ही रांची व जमशेदपुर की भी पुलिस कर रही है. हम गिरोह तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं. फिलहाल जितने भी दस्तावेज व प्रमाण पत्र मिले हैं, सभी फर्जी हैं. पूरे मामले में अनुसंधान चल रहा है.