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न कोई विजन, न कोई बड़ा काम
विकास कोडरमा : वर्ष 2014 जब शुरू हुआ था, तो लोगों की उम्मीद जगी थी कि शायद इस साल शहर की तसवीर बदल जाये. सुविधाएं बढ़ जायें, बड़े शहरों की तर्ज पर हमें भी सुविधाएं मिलें. खुली हवा में सांस लेने का मौका मिले. कचड़े की बदबू से दूर रहने के लिए जीवन मिले, पर […]
विकास
कोडरमा : वर्ष 2014 जब शुरू हुआ था, तो लोगों की उम्मीद जगी थी कि शायद इस साल शहर की तसवीर बदल जाये. सुविधाएं बढ़ जायें, बड़े शहरों की तर्ज पर हमें भी सुविधाएं मिलें. खुली हवा में सांस लेने का मौका मिले.
कचड़े की बदबू से दूर रहने के लिए जीवन मिले, पर अफसोस ये उम्मीदें वर्ष बीतने के बाद भी पूरी नहीं हो पाई. जी हां, लोगों को सुविधाएं बहाल करने की सबसे बड़ी जिम्मेवारी जिस नगर पर्षद पर है वह खुद ‘बीमार’ दिखता है. हालात देखेंगे तो पता चलेगा कि आखिर शहर में काम कैसे हो रहा है जब नगर पर्षद के पास न तो कोई विजन है और न ही बड़े काम को पूरा करने के लिए कोई प्रारूप.
पिछले एक वर्ष की बात करें, तो नगर पर्षद की ओर से मिलने वाली सुविधाएं तो लोगों को नहीं मिली पहले की बनी बड़ी योजनाओं पर भी काम नहीं हुआ. पूरा साल अफसरों की लापरवाही, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा पार्षदों की आपसी खींचतान की भेंट चढ़ गया. हाल यह है कि नगर पर्षद लोगों को सुविधाएं क्या देगा अपने कर्मियों को सही से वेतन नहीं दे पा रहा है.
यहां कर्मियों को पिछले चार माह से वेतन का आवंटन नहीं हुआ है. जानकारी के अनुसार यहां कार्यरत कर्मियों को सरकार की ओर से 70 फीसदी व बाकी का 30 फीसदी नगर पर्षद को होने वाले आमदनी से वेतन के रूप में मिलता है, पर जब पर्षद की आमदनी पूरी नहीं हो रही है, तो कर्मियों को भी रोटी के लाले हैं. रही सही कसर अफसरशाही पूरी कर दे रही है.
रेवन्यू बढ़ाने के मुद्दे पर आज तक नहीं हुई बैठक : शहर के हालात तभी बदलेंगे, जब इसकी योजना होगी और इसके लिए प्रारूप होगा. लोगों को सुविधाएं देने में नगर पर्षद तो पीछे है ही, रेवन्यू कलेक्शन में पूरी तरह पीछे है. वर्ष भर में नगर पर्षद बोर्ड की बैठक कई बार हुई. नाली, पीसीसी सड़क, लाइट लगवाने के नाम पर पार्षदों में तू-तू मैं मैं व पक्षपात का आरोप सार्वजनिक रहा, पर रेवन्यू बढ़ाने को लेकर कैसे काम हो इसके बारे में किसी ने नहीं सोचा. आज तक एक भी बैठक रेवन्यू बढ़ाने के मुद्दे पर नहीं हुई है. यही नहीं शहर के सीवरेज व ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने से संबंधित प्रस्ताव भी लटका हुआ है.
सोमवार का हाल, साहब की कुर्सी खाली, बाहर सन्नाटा : नगर पर्षद के क्रियाकलाप का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां की जिम्मेवारी जिन कार्यपालक पदाधिकारी पर है वे खुद समय पर कार्यालय नहीं आते. प्रभात खबर की टीम यहां सुबह 10:30 बजे पहुंची तो सिर्फ दो कर्मी नजर आये. कुछ देर बाद और कर्मी पहुंचे, पर 11 बजे तक कार्यपालक पदाधिकारी जितेंद्र कुमार जैसल के चेंबर का दरवाजा बंद नजर आया.
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