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ओके:::दीपावली पर जुआ खेलने की है परंपरा

ओके:::दीपावली पर जुआ खेलने की है परंपरा खूंटी़ दीपावली के दिन जुआ खेलने की पुरानी परंपरा है. इस दिन जुआ नहीं खेलनेवाले भी परंपरा का निर्वहन करते हैं. हालांकि जुआ कम घरों में खुशिया व अधिकतर घरों में कलह लाती है. खूंटी में अभी से ही जुआ के जश्न में कई लोग शामिल हो गये […]

ओके:::दीपावली पर जुआ खेलने की है परंपरा खूंटी़ दीपावली के दिन जुआ खेलने की पुरानी परंपरा है. इस दिन जुआ नहीं खेलनेवाले भी परंपरा का निर्वहन करते हैं. हालांकि जुआ कम घरों में खुशिया व अधिकतर घरों में कलह लाती है. खूंटी में अभी से ही जुआ के जश्न में कई लोग शामिल हो गये हैं़ क्या है प्राचीन कहानी : प्राचीन काल में जुए के खेल को अक्षक्रीड़ा के नाम से जाना जाता था. वेद के समय से आज तक यह लोकप्रिय खेल हो रहा है. महाभारत में इस बात का जिक्र है कि जुआ हमेशा सभा में खेला जाता था. उस समय जुआ में कमाये गये धन का पांच फीसदी कर के रूप में देना पड़ता था.टोटका : जीत के लिए आज भी लोग कई टोटका अपनाते हैं. आंखों में सूरमा, काले भालू की बाल, नाग सांप की छाल, काला धागा बांध कर जुआ खेलते हैं.

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