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झारखंड पंचायत चुनाव: SC नहीं ST सीट से चुनाव लड़ेंगे भोगता, गंझू समेत ये 10 समुदाय के लोग

एससी-एसटी संशोधन विधेयक 2022 प्रभावी होने से एसटी की सूची में हुए शामिल हैं, विधेयक लागू होने के बाद भी आरक्षण रोस्टर पहले की तरह ही है लागू है इस वजह से पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित होने का खतरा मंडरा रहा है

रांची: झारखंड में भाेगता, गंझू व खरवार समेत 10 जातियों के लोग राज्य में अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव नहीं लड़ सकेंगे. पूर्व में राज्य की अनुसूचित जाति की सूची में शामिल इन जातियों को एससी-एसटी संशोधन विधेयक 2022 प्रभावी हो जाने के कारण अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल कर लिया गया है. हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पूर्व में तय आरक्षण रोस्टर में विधेयक के अनुरूप कोई बदलाव नहीं किया गया है. विधेयक लागू होने के बाद भी आरक्षण रोस्टर पूर्ववत ही लागू है.

8 अप्रैल 2022 से प्रभावी है एससी-एसटी संशोधन विधेयक : एससी-एसटी संशोधन विधेयक से संबंधित भारत सरकार का राज्यपत्र संख्या आठ, दिनांक आठ अप्रैल 2022 निर्गत तिथि से ही प्रभावी है. इसके आधार पर राज्य के भोगता, गंझू, खरवार, देशवाली, दौलतबंदी, पटबंदी, मंझिया, खेरी, तमड़िया एवं पुराण जाति को एससी से एसटी में शामिल कर दिया गया है.

ऐसे में इन समुदायों के लोगों पर अब अनुसूचित जाति (एससी) की जगह अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए किये गये प्रावधान लागू होंगे. राज्य में चल रहे पंचायत चुनाव में भी उक्त 10 जातियों के लोगों को पहले की तरह एससी के लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होगी. इन जातियों के लोग एसटी के लिए आरक्षित पदों या सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं.

पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित होने का खतरा :

आठ अप्रैल 2022 के पूर्व एससी की सूची में शामिल भोगता, गंझू, खरवार, देशवाली, दौलतबंदी, पटबंदी, मंझिया, खेरी, तमड़िया एवं पुराण जाति के लोग इस बार पंचायत चुनाव लड़ने से वंचित रह सकते हैं. पंचायत चुनाव में प्रत्याशी बनने के इच्छुक अभ्यर्थियों ने एससी के रूप में जाति प्रमाण पत्र बनवाया था. लेकिन, राज्य में पंचायत चुनाव की घोषणा होने के एक दिन पहले ही उनको एससी से हटा कर एसटी में शामिल कर लिया गया.

2014 में ही हुई थी एसटी में शामिल करने की अनुशंसा

जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने राज्यसभा में झारखंड के जनजातीय समुदाय भोगता से संबंधित संविधान (अनुसूचित जाति एवं जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक 2022 पेश किया था. विधेयक में भोगता समुदाय को अनुसूचित जातियों की सूची से विलोपित करते हुए भोगता और गंझू समेत 10 समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए प्रावधान किया गया है.

भोगता समुदाय की पर्याय जातियों को झारखंड की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की सूची में शामिल करने की अनुशंसा वर्ष 2014 में ही की गयी थी. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष एवं राज्य के वर्तमान वित्तमंत्री डॉ रामेश्वर उरांव व आयोग के तत्कालीन सदस्य भैरू लाल मीणा ने राज्य के गांवों का दौरा कर खरवार समुदाय के पर्याय जातियों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) सूची में शामिल करने की अनुशंसा की थी.

Posted By: Sameer Oraon

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