विद्यासागर. करमाटांड़ प्रखंड क्षेत्र के हेटकरमाटांड़, दुधानी, ताराबहाल सहित आसपास के दर्जनों गांवों में तीन दिवसीय सूर्याहू पूजा बड़े हर्षोल्लास और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न हुआ. इस पूजा को सूर्य भगवान के प्रति आस्था और कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है. ग्रामीणों के बीच यह त्योहार सामूहिकता, विश्वास और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करता है. पहले दिन नहाए-खाय की परंपरा निभायी गयी. दूसरे दिन पूरे क्षेत्र में विशेष धार्मिक रंग देखने को मिला. ग्रामीणों ने अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को नदी तालाब में ढोल नगाड़े के साथ अर्घ्य देकर सूर्य भगवान की पूजा की. शाम होते ही गांवों में खरना की रस्म आयोजित हुई, इसमें भक्तों ने खीर का महाप्रसाद तैयार कर पूजा-अर्चना के बाद उसे सामूहिक रूप से ग्रहण किया. इस मौके पर महिलाओं और युवाओं की बड़ी भागीदारी देखने को मिली. तीसरे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का मुख्य अनुष्ठान संपन्न किया गया. अर्घ्य के बाद परंपरा के अनुसार सफेद बकरे की बली देकर सूर्य भगवान को प्रसन्न करने की विधि पूरी की गयी. पूजा स्थलों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही, जबकि गांवों में भक्ति संगीत, मांदर-ढोल की थाप और धार्मिक गीतों का माहौल पूरे दिन बना रहा. इसी क्रम में हेठ करमाटांड़ निवासी अनिल मंडल के घर में भी पूजा का भव्य आयोजन हुआ. जहां सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन और पूजा में शामिल होने पहुंचे. उनके घर परिसर में दिनभर विशेष चहल-पहल और उत्सव जैसा वातावरण बना रहा. पूरे तीन दिनों तक क्षेत्र के गांवों में आस्था, उत्सव और पारंपरिक सांस्कृतिक उत्साह चरम पर रहा. सूर्याहू पूजा के सफल समापन से ग्रामीणों में हर्ष और उल्लास का माहौल देखा गया.
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