संवाददाता, जामताड़ा. ड्रग रेसिस्टेंट टीबी से संबंधित मरीजों का क्रांतिकारी इलाज (बीपीएएलएम रेजीमेन) का शुभारंभ सिविल सर्जन डॉ आनंद मोहन सोरेन एवं जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ डीसी मुंशी ने किया. सीएस ने बताया कि अब ड्रग रेसिस्टेंट मरीजों का भी इलाज छह माह में ही सफलतापूर्वक किया जा सकता है. जो कि पूर्व में अवधि 9 से 18 माह तक किया जाता था. सफलतापूर्वक दवा खिलाने पर सहिया को प्रोत्साहन राशि 5000 रुपये दी जाएगी. बताया कि चार दवाओं के संयोजन- (बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन) से युक्त बीपीएएलएम उपचार पद्धति, पिछली एमडीआर-टीबी उपचार प्रक्रिया की तुलना में सुरक्षित, अधिक प्रभावी और तीव्र उपचार विकल्प साबित हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए नयी छोटी और अधिक प्रभावी उपचार पद्धति शुरू करने को मंजूरी दी है. यह एक अत्यधिक प्रभावी और कम समय के उपचार विकल्प के रूप में है. इस रेजिमेन में बेडाक्विलाइन और लाइनज़ोलिड (मोक्सीफ्लोक्सासिन के साथ/बिना) के संयोजन में प्रीटोमैनिड नामक एक नयी एंटी-टीबी दवा शामिल है. केंद्र सरकार के इस कदम से भारत में टीबी को समाप्त करने के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में देश की प्रगति को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इस कदम से टीबी को समाप्त करने के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में देश की प्रगति को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. मौके पर आशीष कुमार चौबे, संजीत पाल सहित अन्य यक्ष्माकर्मी मौजूद थे.
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