बिंदापाथर. मंझलाडीह गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन वृंदावन धाम के कथावाचक हरिदास अंकित कृष्णा महाराज ने राजा परीक्षित को सात दिन में मृत्यु का श्राप, नारद जी के उपदेश के बारे में मधुर वर्णन किया. कहा कि श्रीमद्भागवत गीता ऐसा धर्म ग्रंथ है जो मनुष्य को कर्म योगी बनने के लिए प्रेरित करता है. इतिहास के महानतम लोग चाहे वैज्ञानिक, इतिहासकार, ऋषि मुनि, दार्शनिक या कोई भी रहे हो, उन्होंने गीता को सफलता का रहस्य बताया है. सही मायने में मनुष्य के जीवन की जो सच्चाई है उसकी झलक आपको योगीराज श्रीकृष्ण के उपदेशों में देखने को मिलता है. देवर्षि नारद, वेदव्यास, बाल्मीकि तथा महाज्ञानी शुकदेव आदि के गुरु हैं. श्रीमद्भागवत जो भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य का परमोपदेशक ग्रंथ-रत्न है तथा रामायण, जो मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के पावन, आदर्श चरित्र से परिपूर्ण है, देवर्षि नारद जी की कृपा से ही हमें प्राप्त हो सके. इन्होंने ही प्रह्लाद, ध्रुव, राजा अम्बरीष आदि भक्तों को भक्ति मार्ग में प्रवृत्त किया. ये भागवत धर्म के परम-गूढ़ रहस्य को जानने वाले- ब्रह्मा, शंकर, सनत्कुमार, महर्षि कपिल, स्वयंभुव मनु आदि बारह आचार्यों में अन्यतम हैं. देवर्षि नारद द्वारा विरचित भक्तिसूत्र बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे उपस्थित श्रोता-भक्त भावविभोर होकर कथा स्थल पर भक्ति से झूमते रहे.
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