जामताड़ा. गांधी मैदान में शनिवार को 38वां कोल महासम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश से सैकड़ों कोल समाज के लोगों ने भाग लिया. भारत प्राचीन आदिम जनजाति कल्याण समिति के बैनर तले आयोजित इस सम्मेलन में कोल समाज ने लंबे समय से चली आ रही मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया. महासम्मेलन की शुरुआत केंद्रीय अध्यक्ष उमानाथ कोल के नेतृत्व में रैली निकाल कर हुई. यह रैली गांधी मैदान से निकल कर पूरे शहर का भ्रमण करते हुए राज्यपाल के नाम डीसी को मांग-पत्र सौंपने पहुंची. इस पत्र में कोल समाज को आदिम जनजाति का दर्जा देने की मांग की गयी. इस दौरान नारेबाजी के बीच आवाज मजबूती से उठाया गया. रैली के समापन के बाद, केंद्रीय अध्यक्ष उमानाथ कोल ने गांधी मैदान में झंडोत्तोलन किया. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से कोल समाज अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहा है, लेकिन उनकी मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि कोल समाज को आज तक किसी भी प्रकार का उचित अधिकार नहीं मिला और उन्हें हमेशा उपेक्षित किया गया है. सम्मेलन में विशेष रूप से सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक मुद्दों पर चर्चा की गयी. कोल समाज के नेताओं ने समाज को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा पर जोर दिया और आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए विभिन्न कदम उठाने की बात की. इस दौरान समाज के सभी लोगों से एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने का आह्वान किया. केंद्रीय अध्यक्ष उमानाथ कोल ने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे भविष्य में और भी जोरदार आंदोलन करेंगे. उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोल समाज को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है और उनकी उपेक्षा की जा रही है. कोल समाज के नेताओं ने एकजुट होकर समाज के हर वर्ग को उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करने का संदेश दिया और यह भी कहा कि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाते रहेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें कितना भी संघर्ष क्यों न करना पड़े. मौके पर केंद्रीय महासचिव अनिल कोल, केंद्रीय संयुक्त सचिव अरुण कोल, जिला अध्यक्ष सातो कोल, जिला कोषाध्यक्ष दिलीप कोल, बुधन कोल, बबलू कोल, रामकिशोर कोल, दशरथ कोल, राजेश कोल, नेपाल कोल आदि मौजूद थे. ये है मांगें. लुप्त हो रही कोल जनजातियों की सर्वे किया जाए एवं कोल की हड़पी जमीन वापस की जाए. जन जाति सलाहकार परिषद में सदस्य मनोनीत की जाए एवं कोल अनुसूचित जन जाति को आदिम जाति का दर्जा दिया जाए. पांचवीं अनुसूची-अनुसूची क्षेत्रों से खत्म करने की साजिश बंद करें. वर्ष 2020 की नयी शिक्षा नीति लागू सख्ती से की जाए. आदिवासियों पर क्रिमीलेयर लगाना एवं वर्गीकरण करना घोर अन्याय है. आरक्षण में वर्गीकरण बंद करें सहित अन्य मांगें शामिल है.
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