जामताड़ा. जामताड़ा प्रखंड के डीवीसी विस्थापितों के साथ तालबेड़िया गांव में प्रभात संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर डीवीसी के विस्थापितों ने अपनी समस्याओं को गिनाया. कहा कि वर्ष 1956 में तत्कालीन भारत सरकार व बिहार सरकार ने मैथन में डीवीसी स्थापित किया. तत्कालीन दुमका जिला व वर्तमान में जामताड़ा जिले के 39 मौजा के 5 हजार 211 परिवार विस्थापित हुए, लेकिन डीवीसी को इन विस्थापितों के प्रति तनिक भी संवेदना नहीं है. आज भी विस्थापितों को डीवीसी के शर्तों के अनुसार लाभ नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों ने सीएसआर फंड का समुचित उपयोग विस्थापित गांव तालबेड़िया सहित अन्य गांवों में देने की मांग की. वहीं संवाद कार्यक्रम में दामोदर वैली वास्तुहारा मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष रोबिन मिर्धा ने कहा कि डीवीसी ने विस्थापितों की जमीन लेकर तरक्की का काम नहीं करके हरे-भरे गांवों को उजाड़ने का काम किया. डीवीसी में जिले में 10500 हेक्टेयर जमीन ली गयी है. इसमें जामताड़ा से 39 मौजा की जमीन शामिल है. धनबाद जिले में 35 मौजा की जमीन ली गयी, जबकि पश्चिम बंगाल के मात्र 12 मौजा की जमीन ली. इसके बावजूद डीवीसी ज्यादा सीएसआर का फंड पं. बंगाल में खर्च कर रही है. जामताड़ा के तालबेड़िया, लाधना, मुर्गाटोना सहित अन्य विस्थापित गांवों में सीएसआर फंड का उपयोग होता है तो इन गांवों में विकास की दिशा काफी आगे रहता. उन्होंने जामताड़ा के विस्थापित गांवों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप डीवीसी पर लगाया. विस्थापितों ने कहा डीवीसी ने तो जमीन ले ली, लेकिन उनके लिस्ट में जामताड़ा व तत्कालीन संताल परगना नहीं था. तो सीएसआर का फंड तो दूर की बात यहां के विस्थापितों की समस्या को डीवीसी सुनने को तैयार नहीं था. दामोदर वैली वास्तुहारा मजदूर संघर्ष समिति ने डीवीसी के लिस्ट में संताल परगना (अब जामताड़ा जिला) का नाम जोड़वाने काम किया. अब अपने हक के लिए लगातार संघर्ष भी कर रहे हैं. …. ………………. क्या कहते हैं लोग – डीवीसी से विस्थापित गांवों में सीएसआर फंड मिले, ताकि इन गांवों का विकास हो सके. विस्थापितों गांवों को बिजली, पानी सहित अन्य सुविधाएं बिल्कुल निशुल्क दिया जाए. – रोबिन मिर्धा डीवीसी ने लॉलीपॉप दिखाकर जमीन तो ले लिया, लेकिन आज विस्थापितों का दर्द सुनने को तैयार नहीं है. सीएसआर के तहत सभी सुविधाएं जामताड़ा जिले में लागू हो. – कार्तिक मंडल डीवीसी से संचालित स्कूलों में विस्थापितों के बेरोजगार युवक, युवतियों को शिक्षक के रूप में रखा जाए. शिक्षित बेराेजगार विस्थापितों को रोजगार मुहैया कराया जाय. – दिनेश हांसदा जामताड़ा जिला प्रशासन को विस्थापितों की ओर से ज्ञापन दिया गया, बावजूद आज तक डीवीसी की ओर से विस्थापित गांवों में सीएसआर फंड नहीं मिला. – दीनबंधु पंडित डीवीसी में स्थापित पावर हाउस में टेंडर के काम में विस्थापितों को प्राथमिकता दी जाय. साथ ही अन्य कार्यों में विस्थापित युवकों को लिया जाय. – दुबराज किस्कू डीवीसी में जमीन झारखंड का गया है, लेकिन डीवीसी का मुख्यालय कोलकाता में है. यह झारखंड लाया जाय. ताकि विस्थापित मुख्यालय पहुंच कर अपना दर्द बता सकें. -शरद पंडित डीवीसी 7-11-1952 का सर्कुलर फॉलो करे. साथ ही विस्थापितों को मिलने वाले सभी लाभ अविलंब दे. जमीन हमारी गयी है तो लाभ भी विस्थापितों को मिलना चाहिए. – गोपाल पंडित
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