बिंदापाथर. सिमलडूबी पंचायत अंतर्गत बड़वा गांव में नर-नारायण सेवा के साथ ही श्रीमद्भागवत पुराण का समापन हुआ. इस धार्मिक कार्यक्रम से संपूर्ण क्षेत्र में सप्ताह भर भक्ति और उत्साह का वातावरण बना रहा. इस सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन तारीणी दास बाबाजी उर्फ त्रिपुरारी के मार्गदर्शन से किया गया. अंतिम दिन कथावाचक महेशाचार्य जी महाराज ने श्रीमद्भागवत कथामृत अंतर्गत द्वारका लीला, यदुवंश संहार, शुकदेव विदाई, राजा परिक्षित को मुक्ति एवं सुदामा चरित्र आदि का मधुर वर्णन किया. कहा कि श्रीमद्भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है. इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं. इसका मुख्य वर्ण्य विषय भक्ति योग है, जिसमें कृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है. इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है. परंपरागत तौर पर इस पुराण के रचयिता वेद व्यास को माना जाता है. वहीं भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र सुदामा चरित्र का मधुर वर्णन करते हुए कथावाचक परम पूज्य महेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि सुदामा जी भगवान श्री कृष्ण के परम मित्र तथा भक्त थे. वे समस्त वेद-पुराणों के ज्ञाता और विद्वान ब्राह्मण थे. कहा जाता है कि कृष्ण ने सुदामा को अपने से भी ज्यादा धनवान बना दिया था. दोस्ती के इसी नेक इरादे की लोग आज भी मिसाल देते हैं. भजन संगीत भी प्रस्तुत किये ”अरे द्वारपालो कन्हैया से कह दो…” की धुन पर उपस्थित श्रोता भावविभोर होकर कथा स्थल पर भक्ति से झूम उठे. मौके पर सुदामा जी का आकर्षक वेशभूषा धारण किया, जिससे पूरा परिसर भक्तिमय हो उठा.
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