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न्यायालय में पेश हुए 17 साइबर अपराधी

नारायणपुर : साइबर क्राइम का चार अपराधी को नारायणपुर पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर पकड़कर न्यायालय के समक्ष पेश किया. इन चारों अपराधियों के पास 15 मोबाइल, 4 बैंक पास बुक, 3 एटीएम कार्ड एवं 1 डायरी के साथ गिरफ्तार किया गया है. इनके विरुद्ध कांड संख्या 151/2016 के भादवि की धारा 419, […]

नारायणपुर : साइबर क्राइम का चार अपराधी को नारायणपुर पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर पकड़कर न्यायालय के समक्ष पेश किया. इन चारों अपराधियों के पास 15 मोबाइल, 4 बैंक पास बुक, 3 एटीएम कार्ड एवं 1 डायरी के साथ गिरफ्तार किया गया है. इनके विरुद्ध कांड संख्या 151/2016 के भादवि की धारा 419, 420, 467, 468, 414, 474, 120 के तहत मामला दर्ज कर पुलिस जांच में जुटी है. नारायणपुर पुलिस इसे बड़ी सफलता मानकर अनुसंधान में जुटी है. इन चार शातिर अपराधियों को नारायणपुर पुलिस ने रविवार को उनके घर धरमपुर गांव से धर दबोचा था. मुख्तार अंसारी पिता अब्दुल सत्तार अंसारी,

नवीन मिर्जा पिता खुशरु मिर्जा, मुस्तकीम अंसारी, पिता लुकमान अंसारी, लतीफ अंसारी पिता रुस्तम अंसारी को कई सबूत के साथ रंगे हाथ इन्हें पकड़ा है. साथ ही सभी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है.

बिहार से आता है खाता : इन अपराधियों को बैंक खाता एवं एटीएम तथा सीएम कार्ड पड़ोसी राज्य बिहार से उपलब्ध कराया जाता है ताकि पकड़ाने के बाद साइबर क्राइम करने वाले कोर्ट से बरी हो जाये. इस कार्य में हाई नेटवर्क कार्य करता है. जिसमें हर आदमी का अलग-अलग कार्य होता है. बिहार से लाये बैंक एकाउंट को साइबर क्राइम करने वाले 10 से 12 हजार रुपये में इन्हें सप्लाई करते है. वहीं सीम कार्ड भी फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर दूसरे राज्य से दी जाती है. जिनके बदले इन साइबर अपराधियों से 1 हजार रुपया प्रति सीम कार्ड वसूल किया जाता है.
घटना को अंजाम देने के लिये टीम भावना से किया जाता है कार्य : एक साइबर अपराधी अपने साथ दो साथियों के साथ अलग-अलग मोबाइल फोन पर जुड़े होते हैं. पहला ग्राहकों से बात करते एवं दूसरा इतने कम समय में सारा कार्य को अंजाम देता है. ग्राहक से सीबीपी नंबर लेने के बाद इन वायलेट पर इसे डाला जाता है. यह कार्य दूसरे साथी द्वारा किया जाता है ताकि ग्राहक को किसी प्रकार का कोई शक न हो. जैसे ही सीबीपी नंबर को वायलेट पर जाता है. पहले साथी द्वारा यह बताया जाता है कि आपके मोबाइल पर एक ओटीपी नंबर जायेगा. इस ओटीपी नंबर को दूसरे साथी के द्वारा वायलट रुपी सॉफटवेयर पर डाल दिया जाता है. जिसे ग्राहक के द्वारा बैंक अधिकारी को बताया जाता है
एक ओटीपी से पांच हजार की होती निकासी : एक बार ग्राहक के द्वारा ओटीपी दिये जाने से महज पांच हजार रुपये की निकासी किया जाता है. इसके लिये ग्राहक के पास यही प्रकिया बार-बार किया जाता है. यह कार्य इतनी तेजी से की जाती है कि ग्राहक अपना एटीएम ठीक करने के लिये इसे उपयोग कर रहे हो बस मन में यही ख्याल रहता है तथा ग्राहक बार-बार अपना ओटीपी नंबर फर्जी बैंक अधिकारी बताते रहते हैं.
साइबर के अपराधी को न्यायालय में पेश करने को ले जाती पुलिस.
125 प्रकार के वेबसाइट का होता है इस्तेमाल
साइबर अपरधी बैंक के खाता से रुपये को हस्तारंण करने के लिये करीब 125 प्रकार के वायलेट अपने मोबाइल एप पर डाउनलोड कर लेते हैं. जिसके माध्यम से एक खाता से दूसरे खाता में असानी से रुपये हस्तांतरित कर लेते हैं. थाना प्रभारी हरीश कुमार पाठक ने कहा नारायणपुर में अब साइबर अपराधियों को बख्शा नहीं जायेगा. कई साइबर अपराधियों की पहचान कर ली गयी है. शीघ्र सभी साइबर अपराधी जेल की सलाखों के पीछे होंगे.
सिरियल नंबर पर मिलाया जाता है फोन
फरजी बैंक अधिकारी बनकर लूटने के लिये सिरियल नंबर को मोबाइल नंबर का इस्तेमाल किया जाता है. जिस पर बात हुई उसके बाद एक नंबर अधिक कर लगाया जाता है. इस प्रकार यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है.
कैसे लगाते हैं ग्राहकों को चूना
थाना प्रभारी ने जब यह बातें उक्त साइबर अपराधी से पूछा तो उन्होंने बताया कि सिरियल नंबर के माध्यम से लगातार कई मोबाइल फोन पर फोन किया जाता है. ग्राहक द्वारा फोन रिसिव करते ही बैंक अधिकारी बनकर हम लोग एटीएम बंद होने की जानकारी दी जाती है. साथ एटीएम बंद होने का बात कहा जाता है तथा ग्राहक से एटीएम कार्ड के पीछे तीन डिजिट का सीबीपी नंबर पूछा जाता है. नंबर मिलने पर इसे वाइलेट पर अंकित कर राशी को दूसरे खाता में हस्तांतरित कर दिया जाता है.

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