आइसीएमआर-एनआइसीपीआर के अध्ययन में हुआ खुलासा उमेश कुमार, जामताड़ा. संताल परगना व उसके आसपास के जिलों में तंबाकू सेवन की स्थिति बेहद गंभीर होती जा रही है. आइसीएमआर-एनआइसीपीआर (राष्ट्रीय कैंसर रोकथाम एवं अनुसंधान संस्थान) की ओर से हाल ही में देश के 100 जिलों में किए गए अध्ययन में झारखंड के पांच जिलों-दुमका, जामताड़ा, गिरीडीह, देवघर और पश्चिमी सिंहभूम को शामिल किया गया. रिपोर्ट में सामने आया है कि इन जिलों में औसतन 68% लोग धुआं रहित तंबाकू उत्पादों (खैनी, जर्दा, गुटखा, पान मसाला आदि) का नियमित सेवन कर रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति कैंसर और मुख-रोगों की संभावनाओं को और बढ़ा रही है. खास बात यह भी है कि पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं और किशोर भी बड़ी संख्या में तंबाकू की लत से जकड़े हुए हैं. जिलेवार स्थिति : दुमका- संताल परगना की उप राजधानी दुमका में करीब 65-67% आबादी किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती है. ग्रामीण इलाकों में महिलाएं भी खैनी और जर्दा वाले पान की आदी हैं. जामताड़ा : जामताड़ा की स्थिति सबसे चिंताजनक है. सर्वे के मुताबिक 68-70% लोग खैनी और गुटखा खाते हैं. यहां कैंसर और मसूड़े की बीमारी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. देवघर: धार्मिक नगरी देवघर भी इससे अछूता नहीं. यहां 67-69% लोग तंबाकू सेवन करते हैं. रेलवे स्टेशन, बाजार और मंदिर मार्गों पर गुटखा-पान मसाला की दुकानों की भरमार है. झारखंड के इन जिलों में तंबाकू सेवन की उच्च दर ने सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र की चिंता बढ़ा दी है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते जागरुकता अभियान, स्कूल-कॉलेज आधारित निषेध कार्यक्रम और कड़े नियमन नहीं किए गए तो आने वाले वर्षों में कैंसर और अन्य गंभीर रोगों का बोझ और भी तेजी से बढ़ सकता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

