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विकास व कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच आसान नहीं, काटते रह जायेंगे कार्यालयों के चक्कर
जिले में जिस ओर नजर दौड़यी जाय हर ओर अव्यवस्था और कमियां ही नजर आयेंगी. चाहे वो विद्यालय में शिक्षकों की कमी हो या जन-जन तक विकास व कल्याणकारी योजनाओं के नहीं पहुंचने का मलाल. कहीं सड़क नहीं है तो कहीं चापानल. जिन इलाकों में सड़क है भी तो गड्ढों और नुकीले पत्थरों से भरे […]
जिले में जिस ओर नजर दौड़यी जाय हर ओर अव्यवस्था और कमियां ही नजर आयेंगी. चाहे वो विद्यालय में शिक्षकों की कमी हो या जन-जन तक विकास व कल्याणकारी योजनाओं के नहीं पहुंचने का मलाल. कहीं सड़क नहीं है तो कहीं चापानल. जिन इलाकों में सड़क है भी तो गड्ढों और नुकीले पत्थरों से भरे हुए ही हैं. कई गांवों में आज भी बिजली नहीं है.
योजनाओं के सुलभ पहुंच के बावजूद भी लोग पेंशन के लिए कार्यालयों के चक्कर काटते रह जाते हैं. फिर भी लोग जी रहे हैं. बच्चों की पढ़ाई भी जारी है, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक स्वपन ही प्रतीत होता है. शिक्षा नीति व कल्याणकारी योजनाएं माहली समुदाय की स्थिति उभारने में अब तक सफल नहीं हो पायी है. नतीजतन लोग निरक्षर और तंगहाली में जीने को विवश है.
नारायणपुर : शैक्षणिक अंचल के कई विद्यालयों में शिक्षक की कमी के कारण विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों पर का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है. क्षेत्र के उप्रवि दलदला एवं भलगढ़ा समेत कई ऐसे विद्यालय में जहां पर 100 बच्चों पर एक मात्र शिक्षक है.
ऐसे में इन विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के अभिभावकों में विभाग के प्रति रोष गहराता जा रहा है. अभिभावक सनाउल अंसारी, जीमल अंसारी, ल्याकत अंसारी समेत अन्य ने उक्त विद्यालयों में शिक्षकों की व्यवस्था करने की मांग विभाग से की है. लोगों ने कहा कि शिक्षक की कमी के कारण पठन-पाठन समेत अन्य कार्यो में परेशानी हो रही है.
फतेहपुर : प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों गांव में बसे मोहली समुदाय के लोग आज भी विकास से वंचित है. इनका मुख्य व्यावसाय बांस का सामान बनाकर बेचना है. फतेहपुर प्रखंड के दुमा, आसनबेड़िया, चापुड़िया, सिमलडुबी सहित दर्जनो गांवो में मोहली जाति के लोग बसे हुए हैं.
इस संबंध में सीताराम मोहली, बोदीलाल मोहली, राम मोहली, कृष्णा मेाहली, जाटो मोहली, सोनालाल मोहली, दिलीप मोहली सहित कई ने बताया कि हमलोगों को खेती बाड़ी नहीं है. सरकार द्वारा कोई आर्थिक सहायता नहीं मिलती है. शिक्षा के मामले में काफी पिछड़े हैं. आसनबेड़िया गांव के श्याम मोहली ने बताया कि गांव में पहली बार मैट्रिक पास कर समुदाय एवं गांव का नाम रोशन किया है.
डॉ बोस के प्रतिमा की सुध लेने वाला नहीं
विद्यासागर : सुभाष चौक करमाटांड की अवस्था को देखकर लोगों के आंखों में आंसू आ जाते हैं. चौक पर संगमरमर पत्थर का शिला तो लगा दिया गया. लेकिन देखरेख करने वाला कोई नहीं है. लगभग महीनों भर से इस चौक एवं प्रतिमा जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है, गंदगी का अंबार है. जबकि उसी रोड से रोजाना सरकारी अधिकारी का आना-जाना लगा रहता है. आज तक किसी भी अधिकार या नेता का ध्यान नहीं गया.
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