Jamshedpur news.
शहर का कचरा का निस्तारण का काम पोटका के बेगुनाडीह में इस वित्तीय वर्ष में शुरू हो जायेगा. इसके तहत वहां 86 बस्ती के करीब 91 हजार मकानों का कचरा, झाड़ू मारने के बाद इकट्ठा हुआ गारबेज, डोर-टू-डोर कचरा संग्रह करने के बाद इसे वहां भेजा जायेगा, जहां इसका निष्पादन हो सकेगा. करीब 82.56 करोड़ रुपये की लागत से यह सुविधा शुरू होगी. इसे लेकर पर्यावरणीय स्वीकृति भी मिल चुकी है. टाटा स्टील यूआइएसएल की ओर पोटका प्रखंड के बेगुनाडीह में न तो किसी तरह का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाया जायेगा और न ही शहर के कचरे को सीधे ले जाकर डंप किया जायेगा. वहां लैंडफिल प्रोजेक्ट स्थापित किया जायेगा, जहां स्क्रीनिंग के बाद निष्क्रिय ठोष अपशिष्ट को मिट्टी के अंदर चरणबद्ध तरीके से बिछाया जायेगा. इससे न तो किसी तरह की दुर्गंध आयेगी और न ही किसी तरह से कचरे से पानी निकलेगा. कुल मिलाकर यह क्षेत्र की मिट्टी और हवा जैसी पर्यावरणीय मापदंडों को कोई नुकसान नहीं पहुंचायेगा.भविष्य में मनोरंजन पार्क का रूप दिया जा सकेगा
पोटका के बेगुनाडीह में लैंडफिल करने के पश्चात भविष्य में वहां मनोरंजन पार्क का रूप दिया जा सकेगा. म्यूसिपिल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्ल्यू) नियम 2016 के दिशा-निर्देशों के अनुसार रिजेक्ट आइटम का निपटान स्वच्छता व सुरक्षित लैंडफिल सुविधाओं में किया जाना चाहिए. लैंडफिल, भूमि पर अकार्बनिक कचरे का निपटान करने की विधि है. इसी के तहत जमशेदपुर में एकत्रित होनेवाले कचरे का जमशेदपुर में ही स्क्रीनिंग के बाद निष्क्रिय अपशिष्ट के निपटान के लिए बेगुनाडीह को लैंडफिल साइट के रूप मे चुना गया है. वैज्ञानिक रूप से लैंडफिल का निर्माण चरणबद्ध तरीके (सेल) में मिट्टी की खुदाई करके किया जाता है और फिर परतों की शृंखला के साथ बिछाया जाता है,
लैंडफिल की प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात झाड़ियां और घास लगाकर हरित आवरण विकसित किया जायेगा
जमशेदपुर से परिवहन किये जाने वाले इनर्ट्स पूरी तरह से गैर-बायोडिग्रेडेबल हैं. इनर्ट्स आसपास के क्षेत्रों की मिट्टी और हवा जैसे पर्यावरणीय मापदंडों को कोई नुकसान नहीं पहुंचायेगी. लैंडफिल की प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात वहां झाड़ियां और घास लगाकर हरित आवरण विकसित किया जायेगा, ताकि क्षेत्र में हरियाली बनी रहे. लैंडफिल सुविधा से क्षेत्र में बहुत सीमित रोजगार का भी सृजन होगा, क्योंकि कोई नया संयंत्र स्थापित नहीं किया जा रहा है और प्रक्रिया पूरी तरह से जमशेदपुर से ले जाये जाने वाले निष्क्रिय पदार्थों के साथ भूमि की कोशिकाओं को फिर से भरा जाना है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है