Tatanagar News| टाटानगर में बसी बस्तियों को अरसे से उम्मीद है कि एक न एक दिन उनको मालिकाना हक मिलेगा. जिस जमीन पर घर बनाकर वह रह रहे हैं, वह जमीन एक दिन उनकी हो जायेगी. सरकारें भी इसकी पहल कर रहीं हैं. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास जब विधायक थे, तो उन्होंने बस्ती विकास समिति बनायी थी. इस बस्ती विकास समिति के बैनर तले 86 बस्ती के लोग मालिकाना हक मांग रहे थे. साथ ही टाटा स्टील से बिजली और पानी की सप्लाई भी मांग रहे थे. रघुवर दास की पहल पर कुछ बस्तियों में सप्लाई का पानी पहुंचने लगा. कुछ जगहों पर बिजली की सप्लाई भी शुरू हुई, लेकिन अब तक मालिकाना हक नहीं मिला. जब भी टाटा लीज के नवीकरण का समय आता है, लोगों में उम्मीद जगती है कि मालिकाना हक पर भी सरकार कोई फैसला करेगी. वर्ष 2005 और वर्ष 2015 में भी ऐसी ही उम्मीद जगी थी. रघुवर दास के नेतृत्व में जब भाजपा की सरकार झारखंड में बनी, तो मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रति डिसमिल जमीन की कीमत तय करके मकान बनाकर रह रहे लोगों को मालिकाना हक दे दिया जाये. अब जबकि झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार है, तो भू-राजस्व मंत्री दीपक बिरुवा ने भी यही बात कही. दीपक बिरुवा ने कहा है कि जमशेदपुर में करीब 100 बस्तियां बस चुकीं हैं. सरकार की शर्तों पर महज 5 लोगों ने मालिकाना हक के लिए आवेदन किया है. सरकार उनको मालिकाना हक देने के लिए तैयार है. दूसरी तरफ, बस्ती के लोगों का कहना है कि मामूली रकम लेकर उन्हें उनकी जमीन का मालिक बना दिया जाये. बहरहाल, अगर सरकार बस्तियों में रह रहे लोगों की जमीन की बंदोबस्ती नहीं करती है, तो उसे राजस्व का नुकसान हो रहा है. लोगों को भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में सरकार को बीच का रास्ता निकालने की जरूरत है. मालिकाना हक मिलने में आ रही अड़चन और मालिकाना हक नहीं मिलने की वजह से होने वाली समस्या के बारे में बता रहे हैं प्रभात खबर के जमशेदपुर के वरीय स्थानीय संपादक संजय मिश्र.
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