जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन घोषित करने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर हुई सुनवाई
प्रमुख संवाददाता, जमशेदपुर
जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन घोषित करने के झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने झारखंड सरकार, टाटा स्टील और टाटा स्टील यूआइएसएल को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई जुलाई में होगी. सामाजिक कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा ने मामले में याचिका दाखिल की है. उनकी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पक्ष रखा. इस दौरान टाटा स्टील की ओर से भी अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा. जस्टिस सूर्यकांत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पहले की प्रोसिडिंग का ही यह हिस्सा है. अभी 2023 के नोटिफिकिशन को चैलेंज किया गया है. अगर नोटिफिकेशन को चैलेंज नहीं भी किया जाता, तो इस परेशानी का हल नहीं निकल सकता. अगर नियम नहीं होगा, तो फिर नोटिफिकेशन कैसे रह सकेगा. इस कारण कोर्ट नोटिस इश्यू कर रहा है.
याचिका में 2023 की अधिसूचना रद्द करने की है मांग :
जवाहरलाल शर्मा ने अपनी याचिका में इंडस्ट्रियल टाउन घोषित करने संबंधी 28 दिसंबर 2023 की अधिसूचना रद्द करने की मांग की है. उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 243 (क्यू) (1) और झारखंड म्यूनिसिपल एक्ट 2011 की धारा 481 को असंवैधानिक करार देने की भी अपील की है. शर्मा का कहना है कि जमशेदपुर में नगर निगम नहीं बनने से नागरिकों को तीसरे मत का अधिकार नहीं मिल पा रहा है. मालूम हो कि टाटा स्टील ने इंडस्ट्रियल टाउन की व्यवस्था लागू करने के तहत एक कमेटी भी गठित की थी, जिसके सदस्यों के नाम सार्वजनिक किये गये थे. जबकि वर्ष 1989 में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने जमशेदपुर को नगर निगम बनाने का निर्णय दिया था और अधिसूचना भी जारी हुई थी, लेकिन वह निर्णय आज तक लागू नहीं हो पाया. शर्मा ने कहा कि यह केवल एक कानूनी लड़ाई नहीं, बल्कि जमशेदपुर के नागरिकों को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने की लड़ाई है. उनका कहना है कि जब तक नगर निगम नहीं बनेगा, तब तक थर्ड वोटिंग राइट संभव नहीं है.
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