कुड़मी समाज के लोगों ने छह जगहों पर ग्रामसभा का किया आयोजन
Jamshedpur News :
कुड़मी समाज के लोगों ने शुक्रवार को पंचायत भवन रुचाप, चावलीबासा, झाबरी, धुनाबुरु, चिलगु और तामुलिया पंचायत भवन में ग्रामसभा का आयोजन किया. जिसमें कुड़मी समाज के लोगों ने सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, शैक्षणिक व आर्थिक विभिन्न बिंदुओं पर परिचर्चा की. इस दौरान कुड़मी समाज के लोगों ने सामूहिक रूप से कुरमाली के सही वर्तनी ”कुड़माली” शब्द को लिखने का निर्णय लिया. वक्ताओं ने कहा कि इससे पहले कुड़माली शब्द को कोई कुरमाली तो कोई कुर्माली आदि लिखते थे, जो अशुद्ध माना जाता था. इसलिए झारखंड विधानसभा में यह मांग उठी कि कुरमाली की जगह सही शब्द कुड़माली दर्ज किया जाये. यह केवल शब्द की शुद्धि का प्रश्न नहीं, बल्कि एक भाषा, उसकी परंपरा और समाज की अस्मिता का प्रश्न है. इस संबंध में कुड़मी समाज चांडिल के जनसंपर्क सचिव गुणधाम मुतरुआर ने कहा कि झारखंड बनने से पहले यह क्षेत्र बिहार राज्य का हिस्सा था. उस समय उत्तर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग यहां आकर नौकरी एवं प्रशासनिक कार्यों में शामिल हुए. उन लोगों की मातृभाषा हिंदी अथवा भोजपुरी थी. इस कारण वे वृहद छोटानागपुर की स्थानीय बोली, उच्चारण और लिपि से अनभिज्ञ थे. सरकारी कागजात, खतियान (भूमि अभिलेख) और जनगणना में उन्होंने अपनी सुविधा के अनुसार नाम को लिखा. इसी कारण ”कुड़मि” शब्द को कई गलत रूपों में जैसे-कुर्मी, कुर्मि, कूर्मी, कूर्मि, कुरमि, कुरमी, कूरमि, कूरमी आदि लिखा गया. लेकिन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रमाण स्पष्ट करते हैं कि इस समुदाय का सही नाम हमेशा से ”कुड़मी” ही रहा है. मालूम हो कि उपायुक्त सरायकेला-खरसावां के निर्देश पर प्रखंड विकास पदाधिकारी चांडिल द्वारा कुरमाली वर्तनी सुधार के लिए प्रत्येक पंचायत में एक-एक पंचायत सेवक को प्रतिनियोजित कर ग्राम सभाओं का आयोजन करने का निर्देश दिया गया है. इन ग्राम सभाओं में जिला परिषद सदस्य, जिला समिति सदस्य, मुखिया, उप मुखिया, वार्ड सदस्य आदि दायित्वपूर्ण लोगों को इन ग्राम सभा कार्यक्रम को सफल बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

