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Jamshedpur News : झारखंड आंदोलनकारी बुधराम सोय इलाज को मोहताज, उपेक्षा जारी

Jamshedpur News : झारखंड आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के पूर्व महासचिव बुधराम सोय आज गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.

पांच सदस्यीय डॉक्टरों की टीम ने गांव जाकर किया कोरम पूरा

आंख व मुंह देखने के बाद डॉक्टरों ने तीन तरह की जांच के लिए एक प्राइवेट क्लिनिक का थमाया पर्ची

पैरालिसिस से जूझ रहे झारखंड आंदोलनकारी बुधराम सोय, आर्थिक तंगी के कारण नहीं करा पा रहे अपना इलाज

Jamshedpur News :

झारखंड आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के पूर्व महासचिव बुधराम सोय आज गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. फरवरी के अंत में आये पैरालिसिस अटैक ने उन्हें असहाय बना दिया है, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे अपना इलाज नहीं करा पा रहे. परिवार के लोग विवश होकर देसी औषधियों के सहारे उनका उपचार करा रहे हैं.दैनिक प्रभात खबर ने 10 मार्च के अपने अंक में उनकी स्थिति को प्रमुखता से उजागर किया. जिसके बाद सरायकेला जिला प्रशासन हरकत में आया और 11 मार्च को डॉक्टरों की एक टीम उनके गांव भेजी. लेकिन डॉक्टरों ने केवल आंख और मुंह देखकर औपचारिकता निभाई और तीन तरह की जांच के लिए एक निजी क्लिनिक का पर्चा देकर लौट गये. डॉक्टरों के इस रवैये से आंदोलनकारियों में नाराजगी है.

आंदोलन के साथी मंत्री-विधायक बने, लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं : चांदमनी सोय

बुधराम सोय की बहन चांदमनी सोय का कहना है कि उनके भाई ने झारखंड अलग राज्य की लड़ाई में कई बार जेल की सजा काटी, यातनाएं सही और घर तक कुर्क हुआ. बावजूद इसके, आज उन्हें देखने वाला कोई नहीं है. उनके साथी विधायक और मंत्री बने, लेकिन उन्होंने भी सुध नहीं ली. उन्होंने सरकार से सवाल किया कि जिस व्यक्ति ने राज्य के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया, उसे इलाज तक नहीं मिल रहा, क्या यह शर्मनाक नहीं.

क्या कहते हैं आंदोलनकारी

झारखंड आंदोलनकारी गौतम बोस, डेमका सोय और हरमोहन महतो ने सरकार से मांग की है कि बुधराम सोय को तत्काल समुचित इलाज मुहैया करायी जाये. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद आंदोलनकारी परिवार से आते हैं, इसलिए यह उनकी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी बनती है कि वे आंदोलनकारियों की दुर्दशा पर ध्यान दें.आंदोलनकारियों ने झारखंड सरकार से मांग की है कि राज्य के लिए संघर्ष करने वाले सेनानियों के लिए एक स्थायी कल्याण योजना बने, जिससे उन्हें सम्मानजनक जीवन और चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाएं मिल सकें. अन्यथा, यह सरकार की ऐतिहासिक विफलता होगी कि जिन लोगों ने मिलकर राज्य बनाया, वे खुद इलाज के अभाव में दम तोड़ दें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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