इस विधि से सर्जरी में नहीं लगाया जाता है कोई चीरा
सर्जरी के दूसरे ही दिन मरीज जा सकता है काम पर
Jamshedpur News :
देश में किडनी में पत्थर की बीमारी तेजी से बढ़ रही है. वहीं इसकी सर्जरी भी अब अत्याधुनिक तरीके से आसानी की जा रही है. इसके लिए पूरे विश्व में सबसे अत्याधुनिक सर्जरी आरआइआरएस (रेट्रोग्रेड इंट्रारेनल सर्जरी) काफी लाभदायक है. उक्त बातें रविवार को टेल्को स्थित एमटीसी सेंटर में टाटा मोटर्स हॉस्पिटल के सर्जरी विभाग द्वारा आयोजित एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया, झारखंड चैप्टर के 24 वें वार्षिक सम्मेलन जेसीकॉन-2025 में गेस्ट लेक्चरर के रूप में उपस्थित यूरोलॉजिस्ट डॉ संजय जौहरी ने कही. उन्होंने कहा कि आरआइआरएस गुर्दे की पथरी को हटाने की एक न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया है. इस सर्जरी में, एक लचीले एंडोस्कोप को मूत्रमार्ग से होते हुए गुर्दे तक पहुंचाया जाता है और पथरी को लेजर की मदद से छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर निकाल दिया जाता है. इससे सर्जरी करने पर कोई बाहरी चीरा नहीं लगाया जाता है. इससे रिकवरी भी तेज होती है. सर्जरी के दूसरे दिन वह काम पर जा सकता है. उन्होंने कहा कि किसी भी मरीज को जन्म से किडनी के बनावट में कोई समस्या है. किडनी अपने स्थान पर नहीं है. कोई बहुत गंभीर मरीज है. बहुत ज्यादा मोटा है या उसका किडनी प्रत्यारोपण किया जा चुका है. उसकी भी पथरी का इलाज आरआइआरएस विधि से आसानी से किया जा सकता है. इसके पहले पोस्ट ग्रेजुएट अवॉर्ड पेपर प्रस्तुत किये गये. इसके साथ ही सम्मेलन में उपस्थित डॉ रवि कुमार माथुर, डॉ मयंक शेखर, डॉ अनंत सिन्हा, डॉ उमर, डॉ प्रेरणा रॉय, डॉ प्रशांत रमण, डॉ सौरभ श्रीवास्तव, डॉ निशांत रंजन, डॉ निशांत सहित अन्य डॉक्टरों ने उपस्थित लोगों को देश में अलग-अलग तरीके से हो रही सर्जरी के बारे में बताये. वहीं इस सम्मेलन में क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

