आयुष्मान घोटाले में स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष स्तर की संलिप्तता की भी जांच करे प्रवर्तन निदेशालय
Jamshedpur News :
आयुष्मान भारत योजना में सामने आये घोटाले को लेकर जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने झारखंड स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाये हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग ने जांच में दोषी पाये गये चिकित्सकों और निजी अस्पतालों को संरक्षण दिया और जानबूझकर जांच प्रतिवेदन को दबा दिया. राय ने कहा कि झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक डॉ. भुवनेश प्रताप सिंह ने सरकारी चिकित्सकों की निजी अस्पतालों में संलिप्तता को लेकर स्वास्थ्य निदेशक से जांच कराने का अनुरोध किया था. निदेशक द्वारा की गयी जांच में पाया गया कि बड़ी संख्या में सरकारी डॉक्टर नियमों का उल्लंघन कर निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे थे. इनमें से कई डॉक्टर अपने पदस्थापन स्थल से दूर जिलों के अस्पतालों में भी इलाज करते पाये गये. नियमों के अनुसार, कोई भी सरकारी चिकित्सक कार्यावधि के बाद ही सीमित रूप से निजी प्रैक्टिस कर सकता है और वह भी विशेष परिस्थितियों में. बावजूद इसके, कई डॉक्टरों के नाम पर चार-चार हजार तक ऑपरेशन दिखाये गये. कुछ मामलों में मृत मरीजों के नाम पर भी इलाज दर्शाकर बीमा राशि का दावा किया गया, जिसे महालेखाकार की रिपोर्ट में उजागर किया गया है.श्री राय ने बताया कि जांच में दोषी पाये गये चिकित्सकों और अस्पतालों की सूची आयुष्मान भारत योजना के कार्यालय द्वारा राज्य सरकार को भेजी गयी थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उस सूची को भी नजरअंदाज कर दिया. उन्होंने कहा कि यह घोटाला केवल निजी स्तर पर नहीं, बल्कि विभाग के उच्च अधिकारियों की मिलीभगत का परिणाम है. सरयू राय ने प्रवर्तन निदेशालय से मांग की है कि वह अपनी जांच में इस पहलू को भी शामिल करे और स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष स्तर की संलिप्तता को भी जांच के दायरे में लाये.
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