ब्रजेश सिंह
जमशेदपुर : धालभूमगढ़ की रुपाली मांडी दो साल पहले ईंट-भट्ठा में मजदूर थी. दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद मुश्किल से 200 रुपये कमाती थी. आज अपनी जमीन पर खेती कर हजारों कमा रही है. सफल किसान की पहचान बनायी है. रुपाली से प्रेरित होकर दूसरी महिलाएं भी खेती की अोर आकर्षित हुई हैं.
रुपाली बताती हैं कि भट्ठा में काम करने के लिए धालभूमगढ़ से जमशेदपुर आना पड़ता था. जी-तोड़ मेहनत के बावजूद आर्थिक स्थिति नहीं सुधरी. एक दिन उसने बदलाव का संकल्प लिया. मजदूरी छोड़ दी. सरकारी योजनाओं की सहायता से खेती करने की ठानी. टाटा ट्रस्ट की एजेंसी सेंट्रल इंडिया इनिशिएटिव (सीआइएनआइ) से जुड़ गयी.
रुपाली को थोड़ी आर्थिक मदद मिली, तो वह आगे बढ़ने को प्रेरित हुई. रुपाली ने पति के साथ मिल कर अपनी बंजर जमीन पर खेती शुरू की. पहले साल खरीफ के मौसम में धान से 10,164 रुपये, रबी के मौसम में सरसों से छह हजार रुपये, सब्जी से 28,480 रुपये कमाये. वर्तमान में रुपाली ने टमाटर, बैंगन, मिर्चा, धनिया पत्ता आदि की खेती पर 70 हजार रुपये खर्च किये हैं. इन्हें बाजार में बेच कर अच्छी कमाई कर रही है.
रुपाली ने बंजर जमीन पर पहले पंप के जरिये नदी से पानी पहुंचाने की व्यवस्था की. दो एकड़ में पहले टमाटर लगाया, बाद में अन्य सब्जियों की खेती करने लगी. आज उसके खेत में 40 क्विंटल तक धान उगते हैं.