(फोटो आयी होगी)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर भगवान ने मनुष्य को प्रचुर अवदान देकर उसे पूर्ण बनाया है. मनुष्य को सुख की कामना करने की जरूरत नहीं, वह तो स्वयं आयेगा. सर्वोच्च प्रभु के प्रति समर्पित हो जायें, यानी किसी के प्रति कोई नापसंदगी या असहनशीलता न रखें. उक्त बातें सीआइआरडी में चल रहे जमशेदपुर ज्ञान यज्ञ के प्रथम चरण के अंतिम दिन स्वामी भूमानंद तीर्थ ने अपने प्रवचन के दौरान कहीं. उन्होंने कहा कि एक साधक को आत्मविश्लेषण कर अपने मन और बुद्धि में उपस्थित संकीर्ण करने वाले भाव (घृणा, द्वेष, अहंकार आदि) का पता लगाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भक्ति के नाम पर ही उन्हें इन भावों को हटा देना चाहिए तथा मन में मैत्री भाव पालना चाहिए. हमारे सभी अनुभव (सुख, दुख, घृणा, क्रोध, अहंकार आदि) आंतरिक एवं मानसिक हैं. सूक्ष्म मन स्थूल को नहीं उत्पन्न कर सकता है, अत: इस समझदारी से जाग्रत अवस्था में साधना के द्वारा इन मानसिक प्रभावों को हम हटा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार हम सुखी रह सकते हैं.न्यायमूर्ति डीएन उपाध्याय थे मुख्य अतिथिआज रांची हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति डीएन उपाध्याय भी प्रवचन में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. न्यायमूर्ति उपाध्याय ने काफी देर तक स्वामी जी का प्रवचन सुना.
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जमशेदपुर ज्ञान यज्ञ में भूमानंद तीर्थ ने कहा
(फोटो आयी होगी)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर भगवान ने मनुष्य को प्रचुर अवदान देकर उसे पूर्ण बनाया है. मनुष्य को सुख की कामना करने की जरूरत नहीं, वह तो स्वयं आयेगा. सर्वोच्च प्रभु के प्रति समर्पित हो जायें, यानी किसी के प्रति कोई नापसंदगी या असहनशीलता न रखें. उक्त बातें सीआइआरडी में चल रहे जमशेदपुर ज्ञान […]
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